हैं फरेबी सभी शख्स वो भी बड़े...
जिनके होठों पे मुस्कान दिल में जलन...!
तेरी फुरकत में हूँ कब से बरबाद मैं..
कोई भी ना मिटा पायेगा ये लगन...!
तीर तरकश से जब जब निकालेंगे वो...
याद फिर आ ही जायेगी उसकी चुभन...!
अपने लफ़्ज़ों में घोला जो उसने ज़हर..
.
हंस के हम पी गए मिट गयी सब जलन...!
तुम मुखातिब रहो या मुखालिफ रहो....
ढूंढ लेंगे तुम्हें हम चमन दर चमन...!