जहाँ आस्था है..
वहाँ विश्वास है...!
जहाँ प्रेम है..
वहां समर्पण है...!
और जहाँ सादगी है..
वहाँ ये सब एकसाथ हैं...!
असल में हमने
अपना स्वाभाविक रूप ही
खो दिया है कहीं...!
सादगी न जाने
कितनी परतों में
छुप गयी है...!!
हर चेहरे पर न जाने कितने
मुखौटे चढ़े हुए हैं कि...
सादगी को अपना चेहरा
आजकल खोजे नहीं मिल रहा है...!!
देखिये तो....
आपके पास कितने मुखौटे हैं...??
धर्मशाला से.....
18/11/2014