प्रेम........
उसके आस-पास का सारा तिलिस्म
खत्म हो जाता है
ये जानते ही
कि उसके आसपास जो जादू था
वो छल था .....
और
दया भर थी....!!
और फिर प्रेम भरे
उस चेहरे को दुबारा जिलाना
उतना ही मुश्किल हो जाता है
जितना मरे हुए को
फिर से सांसें देना....!!
क्यूंकि....
प्रेम भरोसा दिलाता नहीं....
खुद-ब-खुद भरोसा हो जाता है
और जब कोई तोड़ दे इसे तो..
फिर उसी के बार बार
भरोसा दिलाने पर भी
भरोसा नहीं होता.....!!
लेकिन प्रेम न मरता...
न खत्म होता दिल से....
बस खत्म होता है तो प्यार पे,
किसी पे भी भरोसा.....!!
प्रेम कोई वादा नहीं.....
प्रेम.....सिर्फ होता है......
वादा न लेता है...
न वादा देता है.....
फिर भी एक-दूसरे की आँखों में,
बातों में,साथ में और हर स्पर्श में
न जाने कितने अनगिनत वादे
यूं ही हो जाते हैं!
कैसे करेगा कोई वादा
किसी को चाहने का.....
और अगर वादा किया
तो उसके टूटने की आशंका
हमेशा बनी रहेगी मन में...!
ये अलग बात है
लोग प्रेम में धोखा देते हैं...
धोखा खा जाते हैं...
लेकिन इसका एहसास भी
हो जाने के बाद ही होता हैं...!!
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तो भैया....
बस प्रेम कीजिये....
न वादा कीजिये....
न वादा लीजिये....
जिसे वादा तोड़ना हो
तोड़ने दीजिये....
जब आपको प्रेम की अनुभूति हो तो
उसका आनंद लीजिये....
खुश रहिए....
दूसरों को भी खुशी दीजिये प्रेम से......
इसे महसूस कीजिये दिल से....
पूरे दिल से...
डूब जाइए इसी में.....
टूट जाये तो सोग न मनाइए....
बल्कि धन्यवाद दीजिये उसे
जिसने आपको प्रेम करना
या प्रेम में होना सिखाया...
एक अनुभूति दी...
एक मीठा सा एहसास दिया...
उसने कुछ दिया ही आपको....
और देखा जाए तो
नुकसान में भी वही रहा.....
आपके प्रेम का खजाना
जो उसका हो सकता था....
आपके पास ही छोड़ गया...!!