बेवजह करता गिला इंकार का....।
रास्ता कोई तो होगा प्यार का...!
था भरोसा जिस पे धोखा दे गया...
है रहा दस्तूर ये संसार का...!
ज़िन्दगी इस मोड़ पर है आ गयी...
आसरा हमको है एक पुकार का...!
रात को भी मेरी महफ़िल सज गयी...
सामने चेह्रा मेरे दिलदार का...!
जब दिलों में दूरियाँ ही आ गयीं...
दोष कोई है नहीं दीवार का...!
वो मना करके भी बातें मान ले...
मामला समझो ये है इज़हार का...!
गलतियाँ की तो बहुत 'पूनम' मगर...
हौसला भी हो कभी इक़रार का...!
***पूनम***