( मैंने ही ये तस्वीर भी...)
ये मुझे किसने टांग दिया है...
दो बिल्डिंगों के बीच में...?
मैं तो आसमान में उन्मुक्त अकेला हूँ...!
साथ में हैं कुछ टिमटिमाते सितारे..
जिनकी रौशनी तुम तक पहुँच नहीं पाती...!
तुम तक सिर्फ और सिर्फ मेरी पहुँच है....!
चाहो तो सिर उठा कर ऊपर देख लो...
मैं हूँ तुम्हारी हद के अंदर...
और तुम......??
मेरी.....!!!
अभी अभी...
बैंगलोर
21/8/2013
विकास के बीच रख दिया है सौन्दर्य के चाँद को।
जवाब देंहटाएंतुम और मैं एक दूसरे की हद में..और हमारी मोहब्बत ने पार कर दी सब हदें...
जवाब देंहटाएं:-)
अनु
वाह ! चित्र और शब्द दोनों सोने में सुहागा...
जवाब देंहटाएंहठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला
जवाब देंहटाएंसिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला
.
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घटता-बढ़ता रोज, किसी दिन ऐसा भी करता है
नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है
अब तू ही ये बता, नाप तेरी किस रोज लिवायें
सी दे एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आये!
_श्री रामधारी सिंह "दिनकर"
मैं हूं
तुम्हारी हद में...
और तुम मेरी !
वाऽहऽऽ…! लाजवाब !!
आदरणीया पूनम जी
सच्चा प्यार विश्वास से भरा होता है ...
(क्या संयोग है ! पिछले दो-तीन दिन मैंने भी चांद की तस्वीरें उतारी )
:)
❣हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...❣
-राजेन्द्र स्वर्णकार