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शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

***पसंद अपनी अपनी***



कभी इज़हार करता है कभी इनकार करता है..
अजब मेरा सनम ये गलतियाँ सौ बार करता है..!

ये दिल यूँ रूठ बैठा है न जाने क्या कहा उसने...
फ़िक़र मेरी नहीं अब वो हुज़ूरे यार करता है...!

मुहब्बत कातिलाना है,वफ़ा उसकी, जफ़ा उसकी...
सितम पर बस सितम ढाये यही दिलदार करता है...!

कोई खामोश रहता है सुहानी रात में भी यूँ...
वही हो यार अपना जो निगाहें चार करता है..!

हमारे दिल में रहता है वो अब तक मुफ़्त में 'पूनम'..
यही उसका किराया है वो हमसे प्यार करता है...!


गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

दाँव......



मेरे सामने आते ही
तुम्हारे चेहरे की
सारी परतें उतरने लगती हैं
तुम्हारा झूठ
तुम्हारे ही ठहाकों के साथ
उतने ही जोर से 
बोलने लगता है
तुम्हारे जोर से कहे हुए
हर शब्द के पीछे से
तुम्हारे आँखों में छुपी
ग्लानि चीखने लगती है
लोगों को भले ही
तुम कुछ भी बताओ
लेकिन मेरे सामने 
तुम्हारी जुबां से निकले 
हर शब्द निरर्थक हो जाते हैं...!
जानते हो क्यूँ...??
क्यूँकि...
तुमने अपने जीवन में
शरीर और मन की
सत्यता और पवित्रता...
दोनों को दाँव पर लगा दिया है...!!

***पूनम***


शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

नया सा नूर जैसे छा रहा है....





नया सा नूर जैसे छा रहा है... 
अँधेरा दूर होता जा रहा है...!

कोई बैठ़ा पस-ए-चिलमन है गोया, 
हमारे दिल को जो धड़का रहा है...!

गुजारी हिज़्र में इक उम्र हमने...
करीब अब वक़्त हमको ला रहा है..!

बहुत शिद्दत से चाहा है उन्हें पर... 
न जाने दिल क्यूँ धोखा खा रहा है...!

हमारी बज़्म हो उनको मुबारक..
वो आये...उठ के कोई जा रहा है...!

नहीं हम प्यार करते हैं किसी से... 
तो 'पूनम' दिल क्यूँ उन पे आ रहा है..!


***पूनम***