Text selection Lock by Hindi Blog Tips

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

द्विविधा.....










बड़ी द्विविधा में हूँ आजकल......
किसे स्वीकार करूँ.....???
एक वो 'तुम' हो 
जिसे मैं अब तक जानती थी,
पहचानती थी...!
आज वो कहीं गुम हो गया है 
तुम में....तुम्हीं में....! 
और आज एक वो 'तुम' हो...
जो उस तुम से अनजान 
अपने जीवन की सारी सच्चाइयाँ 
अपने आप में समेटे मेरे समक्ष है.......!
हमेशा ही तुम्हें एक सहारे की खोज रही...
कभी इंसान,कभी भगवान...
घर,बाहर,अपने शहर से दूसरे शहर...
अपने-पराये...
सब में सहारा खोजते हुए 
तुम इतनी दूर निकल गए 
कि अब वापस आना भी  
मुमकिन नहीं रहा...!
शायद तुम ये अच्छे से जान भी गए हो...!
तभी तो आज 
अपने ही अहं को सबसे बड़ा 
सहारा बना लिया है तुमने !
इसमें मैं कहाँ हूँ तुम्हारे साथ.....??
इस 'तुम' को मैं जानती नहीं....
न ही पहचानती हूँ...!
और 'वो तुम' रहे नहीं...
कभी सोचूँ भी तो...... 
बोलो किसे स्वीकारूँ....???

(लेकिन ये द्विविधा मेरी अपनी है....तुम्हारी नहीं....!!)





रविवार, 23 सितंबर 2012

चेहरे.......





प्यार बंधन उन्हें ही लगता है
जो खुद प्यार पे बंधन लगाते हैं...!
तोहमतों की बातें भी वही करते है
जो दूसरों पे अक्सर तोहमतें लगाते हैं...!!
जो प्यार करते हैं वो कहते नहीं जनाब....
आप तो सारे जहाँ में ढिंढोरा पीट के आते हैं....!!!








मंगलवार, 18 सितंबर 2012

दुआओं में असर हो.....







ये चाह तमाम लोग तेरी रहगुज़र में हों...
अल्लाह करे  तेरी  दुआओं में असर हो !

तू दे दुआ जिसे वो करे तुझ पे भी असर 
मौला की खैर हो....यूँ  दुआओं में असर हो !

यूँ  तो  निगाहबान रहा मुझपे  भी  खुदा 
फिर भी ये चाह तेरी दुआओं में असर हो !

माना कभी रहा न तेरा मुझसे *इख्तिलाफ
फिर न हो मुलाक़ात.....दुआओं में असर हो !

नज़दीक आते आते हो गयीं  हैं  दूरियां...
हो **इल्तियाम-ए-दिल ये दुआओं में असर हो..!

*मतभेद
**दिल के ज़ख्म भरना 








सोमवार, 17 सितंबर 2012

राज़.......जो अब राज़ न रहा....








कुछ राज़ कहे हमने...उनसे यूँ अलहदा..
निकले तो साथ थे मगर राहें  हुई जुदा !!

कुछ राह वो थे भूले कुछ हम भी खो गए
नज़रें तो दूर तक गयीं मंजिल हुई जुदा !!

तेरी  निगेहबानी  का  क्या  शुक्रिया करूँ 
रुसवाइयां जो तूने दीं वो भी थीं अलहदा !!

माना ये राह-ए-जिंदगी सिखलाती है सबक
तूने जो दिया है सबक वो सबसे अलहदा !!

हमने किया यकीन था तुझपे बहुत मगर
न तुझको ही यकीन रहा खुद पे ,या खुदा !!








रविवार, 16 सितंबर 2012

चेहरे पे चेहरा......






जब हम नहीं तैयार तो क्या कर सकेंगे वो
रुसवा करेंगे वो  हमें....बस ! ये करेंगे वो !

उनकी ज़बांदराजी  पे  न था शक  हमें कभी
अब तक किया यही है, तो क्या अब करेंगे वो !

चेहरे पे एक चेहरा उनका और है जनाब 
अपने ही अक्स से नज़र चुरा रहे हैं वो !

यूँ तो गीले शिकवे हमें भी उनसे  हैं  बहुत
गर खोल दी जुबां तो न खुद सह सकेंगें वो !

अब क्या कहें किसी से हम उनके विसाल-ए-यार
अपने शहर में थक गए....गए दूजे शहर में  वो !

उनकी  निगेहबानियाँ....कुछ मुझपे यूँ रहीं  
बदनाम हमें करेंगे तो  क्या खुश रहेंगे वो !

कहते हैं जुर्म करना और सहना भी है गुनाह
अपने - किये गुनाह पे अब  क्या  कहेंगे वो ??

खुद को समझते है वो पाक साफ़ आजतक 
खुद कितनी तोहमतें मुझपे लगाते रहे हैं वो !






सोमवार, 10 सितंबर 2012

रूहें जब मिल जाती हैं.....







बागों में फूलों के रंग
जब खिल खिल जाते हैं...
तितलियाँ गुनगुनाती हैं
मचल मचल जाती हैं..

रात जितनी गहरी होती है
चाँद उतना ही जगमगाता है
चांदनी मुस्कुराती है
रौशनी उतना ही खिलखिलाती है


साँसे जब जब लयबद्ध
हो जाती हैं खुद ब खुद
ये धरती भार विहीन हो
अपनी ही धुरी पर नाचती है

सूरज जब आँख मलते हुए
जगाने आ जाता है तो...
ओस शरमाते हुए
दूब के आँचल में छुप जाती है


और रूहें जब रूहों से
मिल जाती हैं तो...
जिस्म से एक
सुगंध सी बिखर जाती है....!!


११-०९-२०१२
बस अभी अभी
***पूनम सिन्हा***