न जाने कितने स्वप्न...
न जाने कितने ख्वाब..
कुछ पूरे ..
कुछ अधूरे...
तैरते रहते हैं इन आँखों में..!
हर सपने की एक ही चाहत..
काश कि पूरा हो जाये...!
हर ख्वाब की एक ही हसरत...
काश कि हकीकत में तब्दील हो जाये...!
ये जिंदगी...
हकीकत में ख्वाबों की ताबीर भले ही हो..
फिर भी जिंदगी के रंग हैं ये...
इन सपनों से ही है जिंदगी...!
कुछ ऐसे ख्वाब...
जो रोज देखे जाते हैं....
कुछ ऐसे स्वप्न...
जो कभी पूरे ही नहीं हो पाते हैं...!
फिर भी हम करते हैं इंतज़ार इनका..
क्यूँ कि ये होते ही हैं...
बस देखने के लिए...!!
तभी तो कहा है किसी ने...
"कल के सपने आज भी आना..."
तेरे बिन मैं कुछ नहीं...तू मेरे बिन कुछ भी नहीं..
साथ हो कर दूर हूँ मैं.....दूर रह कर कुछ नहीं...!
मुश्किलें आयीं कभी तो हाथ यूँ पकड़ा तेरा..
ये सहारा न रहा....मेरा सहारा कुछ नहीं...!
मेरे दामन में तेरी सांसें महक उठती थीं जब..
दूसरी खुशबू मुझे महसूस होती थी नहीं...!
बेमुरव्वत हो के जब नज़रें पलट जाएँ तेरी..
सोच लेना जिंदगी के तेरे दिन बचते नहीं...!
मैं तो जी लूंगी जुदा हो करके तुझसे ऐ सनम
तू मगर सह पायेगा गम इस जुदाई का नहीं...!
दे सके तो साथ दे देना मेरा सारी उमर..
टूटता हो हौसला अब गम मुझे इसका नहीं...!
कोई हो जाये गर तेरा यूँ ही...
उसका तुम इम्तहान मत लेना..!!
मिल न जाऊं कहीं मैं रस्ते में...
ऐसा कोई मुकाम मत लेना...!!
तेरे वादे का था एतबार मुझे...
अब मेरा एतबार मत लेना...!!
मैंने सपने बुने हैं पलकों पे....
तुम मेरा वो जहान मत लेना...!!
मेरा दिल यूँ ही बहल जायेगा
तुम बस उसका बयान मत लेना...!!
दिल तो यूँ भी किसी का होना था..
प्लीज़...तुम उसका नाम मत लेना...!!
लेते रहते हो इम्तहाँ सबका....
बस मेरा इम्तहान मत लेना...!!
***पूनम***
११/०३/२०१३