अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं
कुछ शेर फ़कत तुझको सुनाने के लिए हैं !
मेरी ज़रूरतों पे रहा मुझसे बदगुमान
एहसास तेरे यूँ तो जमाने के लिए हैं !
लफ़्ज़ों के लिए तू न बरत पाया एहतियात
औरों का कद्रदां तू, दुहाईयाँ मेरे लिए हैं !
दुश्मन को भी न दे ऐसी सजा मेरे हमसफ़र
रिश्ते बहुत से यूँ तो निभाने के लिए हैं !
गर इश्क है दिलों में खा लें सूखी रोटियां
पकवान यूँ तो ढेरों जमाने भर के लिए हैं !
कायल हूँ तेरी फित्न:अंदाजी पे मेरे दोस्त !
वर्ना बहुत से दोस्त ज़माने में पड़े हैं !
गर दो दिलों में इश्क हो तो बनता है रिश्ता
वर्ना बहुत से जिस्म बाजारों में पड़े हैं !
दौलत के बल पे कौन खरीद पाया है ख़ुशी
जो दिल में हो ख़ुशी खजाने खुले पड़े हैं !