गुरुवार, 29 अगस्त 2013

फरेबी.....



हैं फरेबी सभी शख्स वो भी बड़े...
जिनके होठों पे मुस्कान दिल में जलन...!
तेरी फुरकत में हूँ कब से बरबाद मैं..
कोई भी ना मिटा पायेगा ये लगन...!
तीर तरकश से जब जब निकालेंगे वो...
याद फिर आ ही जायेगी उसकी चुभन...!
अपने लफ़्ज़ों में घोला जो उसने ज़हर..
. हंस के हम पी गए मिट गयी सब जलन...!

तुम मुखातिब रहो या मुखालिफ रहो....

ढूंढ लेंगे तुम्हें हम चमन दर चमन...!










रविवार, 25 अगस्त 2013

उनकी सूरत............





उनकी सूरत निखर गयी होगी,
रोशनी  जब उधर  गयी होगी...!

रात इक गीत उसने छेड़ा था,

उसको  भी ये खबर गयी होगी ...!

लिखते लिखते खयाल आता है,

ख्वाब में वो उतर गयी होगी...!

मेरे आने से बात बन जाए,

बज़्म तेरी संवर गयी होगी...!

हमको इलज़ाम दे रहे हैं वो,

कुछ तो उन पर गुज़र गयी होगी...!

रात भर कोई गीत गाता था,

आग दिल की किधर गयी होगी...!

शाम से ही चराग जलते हैं, 

चांदनी कुछ बिखर गयी होगी...!

बात छेड़ी जो आज 'पूनम 'की,

सारी दुनिया ठहर गयी होगी...!


***पूनम***


चाँद.......






कल रात चाँद चमका...मेरे आँगन में इस तरह 
चमके है जैसे दामिनी....बादल में इस तरह 
कुछ चल रही हवाएं भी....उस वक्त तेज तेज  
खुशबू उड़ी दिशाओं में भी थी....कुछ इस तरह 
चमके थे साथ तारे...........आँचल में रात के  
जैसे हो ओढ़नी......किसी दुलहन की इस तरह

***पूनम***
आधी रात का प्रलाप...
२६/८/२०१३






बुधवार, 21 अगस्त 2013

आज का चाँद...........


 ( मैंने ही ये तस्वीर भी...)




ये  मुझे किसने टांग दिया है...

दो बिल्डिंगों के बीच में...?

मैं तो आसमान में उन्मुक्त अकेला हूँ...! 

साथ में हैं कुछ टिमटिमाते सितारे..

जिनकी रौशनी तुम तक पहुँच नहीं पाती...! 

तुम तक सिर्फ और सिर्फ मेरी पहुँच है....!

चाहो तो सिर उठा कर ऊपर देख लो...

मैं हूँ तुम्हारी हद के अंदर...

और तुम......??

मेरी.....!!!







अभी अभी...
बैंगलोर
21/8/2013

शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

हाशिए.......



अपनी जिंदगी को ...

कितने हाशियों में 

बाँट रखा है इंसान ने 

खुद नहीं जानता अपने आप को...

और सारा समय कोशिश करता है 

दूसरों को समझने की....

समझाने की ...!

अपनी ज़िंदगी को सहज,सरल 

न बना कर उलझाने में लगा है !

जरा जरा सी बात पर 

हाशियों को खींचने में 

लगा रहता है अपनों के दरमियाँ..

और जब दूरी बढ़ जाती है 

तो खुद परेशान हो जाता है !

खुद तो जब चाहे...

तब दीवार उठा देता है 

लेकिन दूसरों की रखी एक ईंट भी 

ठोकर देती है उसे...!

जिंदगी सरल भी है और....

सुन्दर भी....!

लेकिन दरमियाँ के ये हाशिए....

इसे सुन्दर रहने दें तब न.....!!






रविवार, 4 अगस्त 2013

सन डे के फन डे का फ़ाइनल फंडा.....









शेर शेरनी से नहीं डरता 
क्यूँ कि प्यार करता है....
शादी नहीं करता....!



आदमी औरत से डरता है
क्यूँ कि शादी तो करता है...
प्यार नहीं करता.....!!



***प्रदीप चौबे***