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रविवार, 20 जनवरी 2013

प्यार और चाँद...










मेरे बालों में मेरे उँगलियाँ घुमाते हुए...
तुम ने ठीक कहा था उस दिन---
प्यार चाँद सा होता है !
और मैं मान गयी थी सहजता से...! 
उसके मायने नहीं समझ पाई थी उस दिन....!
चाँद में प्यार की चमक के अलावा 
कुछ देख ही न पाई थी तब...
शायद वो उम्र ही नहीं थी जोड़-घटाव की...!
आज और अब..
कुछ  कुछ समझ आने लगा है 
तुम्हारी बातों का मतलब...
और उनका भाव भी...!
मुझ जैसी नासमझ को भी 
आख़िरकार समझदार बना ही दिया तुमने...!!
तुम्हारी ही बातों की 
न जाने कितनी गांठें खुलने लगी हैं अब...
अब जाना है सही अर्थ चाँद का...!
प्यार के सन्दर्भ में चाँद...
जब भी बढ़ता है तो 
पूर्णिमा सा उजागर होता है...
और जो घटने पे आ जाये तो....
अमावस से भी ज्यादा अँधेरा....!






मंगलवार, 8 जनवरी 2013

एक स्वेटर......






जब हम नहीं तैयार तो क्या कर सकेंगे वो
रुसवा करेंगे वो  हमें....बस ! ये करेंगे वो !

उनकी ज़बांदराजी  पे  न था शक  हमें कभी
अब तक किया यही है, तो क्या अब करेंगे वो !

चेहरे पे एक चेहरा उनका और है जनाब 
अपने ही अक्स से नज़र चुरा रहे हैं वो !

यूँ तो गीले शिकवे हमें भी उनसे  हैं  बहुत
गर खोल दी जुबां तो न खुद सह सकेंगें वो !

अब क्या कहें किसी से हम उनके विसाल-ए-यार
अपने शहर में थक गए....गए दूजे शहर में  वो !

उनकी  निगेहबानियाँ....कुछ मुझपे यूँ रहीं  
बदनाम हमें करेंगे तो  क्या खुश रहेंगे वो !

कहते हैं जुर्म करना और सहना भी है गुनाह
अपने - किये गुनाह पे अब  क्या  कहेंगे वो ??

खुद को समझते है वो पाक साफ़ आजतक 
खुद कितनी तोहमतें मुझपे लगाते रहे हैं वो !






रविवार, 6 जनवरी 2013

इश्क....प्रेम....प्यार....



















इश्क....
प्रेम......
प्यार......

क्या समानता है इन तीनों में...???

तीनों में ही ढाई अक्षर हैं.....
पूरे-पूरे तीन  भी  नहीं...! 

दूसरे से हो रहे...
तो तीनों ही अधूरे हैं.....
और खुदा से हो जाये तो...
तीनों ही पूरे हैं....!!





शनिवार, 5 जनवरी 2013

कतरा कतरा




कतरा कतरा 
वो वक्त बीत गया 
जो कभी था तुम्हारे साथ...
कतरा कतरा 
वो अल्फाज़ भी सिमट गये  
जो दबे थे मेरे सीने में !
आज हमारे सारे एहसास 
सहमे, सिकुड़े...
बेचारे से....
अपने ही एहसास को 
महसूस करने के लिए..
औरों का मुंह ताकते हैं !
भले ही तुम इसे न मानो
लेकिन तुम्हारे चेहरे की 
झेंपती हंसी सब कह देती है...
तुम्हारा जोर से हंसना 
तुम्हारे दर्द का एहसास दिला देता है...!
कुछ वक्त चुराया था तुम्हारे लिए...
इस जिंदगी से मैंने...
न जाने कब का मुट्ठी से फिसल कर 
कहीं दूर जा गिरा है ! 
कुछ वक्त ने और कुछ तुमने 
और कुछ मैंने.... 
बदल डाला है सब कुछ  !!
अब तुम्हें देने को मेरे पास कुछ नहीं है...
दोनों हथेली खाली है मेरी 
क्यूँ कि....
मेरे पास आज खोने को भी कुछ नहीं है....!! 



०५/०१/२०१३