उनकी सूरत निखर गयी होगी,
रोशनी जब उधर गयी होगी...!
रात इक गीत उसने छेड़ा था,
उसको भी ये खबर गयी होगी ...!
लिखते लिखते खयाल आता है,
ख्वाब में वो उतर गयी होगी...!
मेरे आने से बात बन जाए,
बज़्म तेरी संवर गयी होगी...!
हमको इलज़ाम दे रहे हैं वो,
कुछ तो उन पर गुज़र गयी होगी...!
रात भर कोई गीत गाता था,
आग दिल की किधर गयी होगी...!
शाम से ही चराग जलते हैं,
चांदनी कुछ बिखर गयी होगी...!
बात छेड़ी जो आज 'पूनम 'की,
सारी दुनिया ठहर गयी होगी...!
***पूनम***
बहुत खूब, बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंbhetereen
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल मंगलवार २७ /८ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है।
जवाब देंहटाएंवाह वाह दी लाजवाब |
जवाब देंहटाएंbahut hi khubsurat..
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