Text selection Lock by Hindi Blog Tips

शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

हौसला भी हो कभी इक़रार का.......





बेवजह करता गिला इंकार का....।
रास्ता कोई तो होगा प्यार का...!

था भरोसा जिस पे धोखा दे गया...
है रहा दस्तूर ये संसार का...!

ज़िन्दगी इस मोड़ पर है आ गयी...
आसरा हमको है एक पुकार का...!

रात को भी मेरी महफ़िल सज गयी...
सामने चेह्रा मेरे दिलदार का...!

जब दिलों में दूरियाँ ही आ गयीं...
दोष कोई है नहीं दीवार का...!

वो मना करके भी बातें मान ले...
मामला समझो ये है इज़हार का...!

गलतियाँ की तो बहुत 'पूनम' मगर...
हौसला भी हो कभी इक़रार का...!


***पूनम***



सोमवार, 5 अक्टूबर 2015

बाद मुद्दत के ये घड़ी आई....



सामने वो नज़र मिलाते हैं...
और आँखों में मुस्कुराते हैं...!

चाँदनी की सफेद चादर पर..
ख्वाब तारों से झिलमिलाते हैं...!

बाद मुद्दत के ये घड़ी आई...
प्रीत का गीत हम सुनाते हैं.....!

आप मेहमां हुए हैं इस दिल में...
हम झुका कर नज़र बताते हैं...!

जान बेजान सी हुई जाती...
बिन पिए हम यूँ लड़खड़ाते हैं...!

गीत बन जाऊँ या गज़ल 'पूनम'...
वो अकेले में गुनगुनाते हैं...!


***पूनम***

सोमवार, 3 अगस्त 2015

जरूरत क्या पड़ी हमको मुहब्बत आजमाने की...




जरूरत क्या पड़ी हमको मुहब्बत आजमाने की...
उन्हें आदत है इस तरह से अक्सर भूल जाने की...!!

नहीं मिलता है गर दिल तो नहीं कोई हमें शिकवा...
नज़र मिल जाए तो भी क्या ज़रूरत मुस्कुराने की...!!

निभाना दुश्मनी गर हो तो फिर किस बात का है ग़म...
करो पूरी तरह कोशिश दिलों के टूट जाने की...!!

नज़र आई तो थी उम्मीद की इक रौशनी हमको...
जमाने ने की कोशिश हर तरह उसको बुझाने की...!!

तुम्हीं मुखबिर तुम्हीं मुजरिम तुम्हीं हो मुंसिफ ए आजम...
बताएँ क्या तुम्हें हम बात अपने हर ठिकाने की...!!

अगर चाहो तो आ बैठो कभी नज़दीक 'पूनम' के...
बताएँगे तुम्हें सब बात हम यूँ दिल लगाने की...!


***पूनम***
02/08/2015


मंगलवार, 14 जुलाई 2015

उसने कहा था.....




उसने कहा था...
"ये क्यूँ सोचना कि....
कौन,कहाँ,कब,किसके साथ है..?
जो है...बस आज है..!
इसे एन्जॉय करो..
कल क्या हुआ...
उसकी न सोचो...!
यहाँ अपने लिए ही समय की कमी है...
फिर दूसरों के लिए सोचें...
ये किसको पड़ी है...?
जो था...जैसा था...
उसके बारे में सोचना क्या है...?"

फिर मैं सोच में पड़ गयी कि...
उसने जो किया और अब जो कहा...
उसमें सच्चाई कहाँ है...??
जीवन में इंसान के उसूलों की...
उसके अपने संस्कारों की...
फिर कीमत क्या है..?
एक इंसान जो दूसरों को...
पारवारिक संस्कारों और मूल्यों पर
घंटों भाषण दे सकता है...
इंसानी व्यवहार,भावनाओं 
और चारित्रिक विषयों पर 
बिना रुके न जाने 
कई दिनों तक बोल सकता है...
उसके अपने ही जीवन के मूल्य क्या हुए तब...?
उसके अपने संस्कार...अपने उसूल क्या हुए तब...?
वह अपने किये हुए हर काम को 
बड़े आराम से justify कर देता है...!
लेकिन....
दूसरों को संस्कार के तराजू में 
हर वक्त तोलता रहता है..!
ऐसे व्यक्ति के लिए 
अपना किया सब नगण्य हो जाता है...
शायद इसीलिए लिए वो...
हर रात चैन से सो पाता है...!
और मैं....
हर रात उसकी कुछ ऐसी ही बातों को
सोचती रह जाती हूँ...
शायद इसीलिए...
मैं ठीक से सो नहीं पाती हूँ...!



शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

मुहब्बत दिल में रखती हूँ मैं नफरत भूल जाती हूँ.....






हर इक शिकवा, गिला, सारी रक़ाबत भूल जाती हूँ
मुहब्बत दिल में रखती हूँ मैं नफरत भूल जाती हूँ !

न छेड़ो इस तरह मुझको कि बह निकलें मेरे आँसू
दुखाये दिल कोई सारी नफासत भूल जाती हूँ !

किसी की नम हुई आँखें कोई नज़रें चुराता है
मिले गर प्यार से कोई हिमाकत भूल जाती हूँ !

नज़र से जब मिलें नज़रें नज़र झुक जाती हैं मेरी
रहे धोखा नजर में गर मुहब्बत भूल जाती हूँ !

मेरी शुहरत से जल कोई मुझे बदनाम करता है
बनाये लाख बातें फिर शराफत भूल जाती हूँ !

मुझे वो प्यार करता है नहीं इकरार करता है
मगर जब सामने हो वो शिकायत भूल जाती हूँ !

 तकाजे दोस्ती के कब अदा उसने किए 'पूनम'
मगर हँस के मिले वो जब अदावत भूल जाती हूँ !


***पूनम***




रविवार, 28 जून 2015

जाना कहाँ है........



अभी हम ने जहाँ देखा कहाँ है..
तेरे पहलू में दिल होता कहाँ है..!

तुम्हें हम याद करते ही रहे हैं..
तुम्हें हम याद हों ऐसा कहाँ है..!

कभी उस आँख में बस हम बसे थे..
मगर वो शख्स अब मेरा कहाँ है..!

हमारा दिल है तेरा आशियाना..
मगर अब तू यहाँ रहता कहाँ है..!

कभी आओ हमारे पास गर तुम..
यहीं रह जाओ अब जाना कहाँ है..!





गुरुवार, 5 मार्च 2015

होली.....हो ली......







लगा है रंग चेहरे पर, कि हर चेहरा संवर जाए...
सभी सूरत में अब मुझको, मेरा ईश्वर नज़र आए..!
अजब है रंग होली का, मेरे हमदम न पूछो तुम...
ये दिल करता है बस अब तो, जमाना यूँ ठहर जाए...!!


********************************************************

गुलाबी गाल होली में, शराबी चाल होली में..
सभी पागल हुए हैं यूँ, बुरा है हाल होली में..!
नहीं कोई यहाँ भोला, सभी शातिर खिलाड़ी हैं..
चलेंगे दाँव ऐसा के, मचे भूचाल होली में..!!


***************************************************


आज सजा है मंच चलो मिल खेलें होली...
खूब पियेंगे भंग चलो मिल खेलें होली....!!
नैनों के है बाण और शब्दों की गोली...

अजब सभी के ढंग चलो मिल खेलें होली...!!



***************************************************




***************************************************

शब्दों के हैं बाण औ, अँखियाँ बनी कटार...
रंगों की बौछार है, मार सके तो मार....!!





  • ***पूनम ***
  • ०५/०३/२०१५



शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

***पसंद अपनी अपनी***



कभी इज़हार करता है कभी इनकार करता है..
अजब मेरा सनम ये गलतियाँ सौ बार करता है..!

ये दिल यूँ रूठ बैठा है न जाने क्या कहा उसने...
फ़िक़र मेरी नहीं अब वो हुज़ूरे यार करता है...!

मुहब्बत कातिलाना है,वफ़ा उसकी, जफ़ा उसकी...
सितम पर बस सितम ढाये यही दिलदार करता है...!

कोई खामोश रहता है सुहानी रात में भी यूँ...
वही हो यार अपना जो निगाहें चार करता है..!

हमारे दिल में रहता है वो अब तक मुफ़्त में 'पूनम'..
यही उसका किराया है वो हमसे प्यार करता है...!


गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

दाँव......



मेरे सामने आते ही
तुम्हारे चेहरे की
सारी परतें उतरने लगती हैं
तुम्हारा झूठ
तुम्हारे ही ठहाकों के साथ
उतने ही जोर से 
बोलने लगता है
तुम्हारे जोर से कहे हुए
हर शब्द के पीछे से
तुम्हारे आँखों में छुपी
ग्लानि चीखने लगती है
लोगों को भले ही
तुम कुछ भी बताओ
लेकिन मेरे सामने 
तुम्हारी जुबां से निकले 
हर शब्द निरर्थक हो जाते हैं...!
जानते हो क्यूँ...??
क्यूँकि...
तुमने अपने जीवन में
शरीर और मन की
सत्यता और पवित्रता...
दोनों को दाँव पर लगा दिया है...!!

***पूनम***


शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

नया सा नूर जैसे छा रहा है....





नया सा नूर जैसे छा रहा है... 
अँधेरा दूर होता जा रहा है...!

कोई बैठ़ा पस-ए-चिलमन है गोया, 
हमारे दिल को जो धड़का रहा है...!

गुजारी हिज़्र में इक उम्र हमने...
करीब अब वक़्त हमको ला रहा है..!

बहुत शिद्दत से चाहा है उन्हें पर... 
न जाने दिल क्यूँ धोखा खा रहा है...!

हमारी बज़्म हो उनको मुबारक..
वो आये...उठ के कोई जा रहा है...!

नहीं हम प्यार करते हैं किसी से... 
तो 'पूनम' दिल क्यूँ उन पे आ रहा है..!


***पूनम***


सोमवार, 19 जनवरी 2015

इश्क़ की रस्म....





शाम कुछ इस तरह से आई है
ज़िन्दगी जैसे गुनगुनाई है ...!

तीरगी दूर छुप के बैठ गई...

रात दुल्हन सी झिलमिलाई है...!

साथ वो अब मेरे नहीं आता...

उसकी यादों से आशनाई है...!

वो मुझे याद कर परीशां हो...

इश्क़ की रस्म यूँ निभायी है...!

रात 'पूनम' की जब हुई रौशन...

चाँदनी हुस्न में नहाई है...!



19/01/2015

उदयपुर