जान,रूह और जिस्म....
क्या देखा है किसी ने...?
देखा होगा आपने भी !
मैंने भी देखा है अक्सर..
एक जान...
जो परेशान रहती है
कभी खुद से..
कभी दूसरों से !
कभी अपने से
सुकून पाए भी तो
गैर रहम नहीं करते
अक्सर जान की
परेशानी की वजह
ये दूसरे ही हो जाते हैं.
वो कहा भी जाता है न...
जान के पीछे हाथ धो के पड़ना !
एक रूह......
जो शांत है
जो होता रहा है...
जो हो रहा है
सब देखती रहती है
जान की बेचैनी पर
हंसती है कभी-कभी
न हैरान....
न परेशान...!!
और जिस्म......
बेवजह इन दोनों से
सताया हुआ....
इन दोनों में ही
तालमेल बैठाने में
लगा रहता है बेचारा......!!!