गुरुवार, 28 जून 2012

वजूद ...........




न मैं लैला,न मजनू तुम
न मैं हीर, न ही फरहाद तुम 
जीवन की आपधापी में
हमारा प्यार परवान न चढ़ सका,
मोहताज़ हो गया खुद अपना....
खुद अपना ही !!
अपना ही अस्तित्व न संभाल सका,
और खो गया कहीं ....
आहिस्ता अहिस्ता अपने ही बीच.
अपना ही वजूद तलाशते हुए
समाज के बनाये हुए बंधनों में....!!
और आज ...
आज भी खोज जारी है
अपने  ही वजूद की....
अपने ही प्रेम की ,
जो हमारे ही भीतर है 
फिर भी ....
हम उसे खोज रहे हैं 
कभी कहीं बाहर ....
कुछ अपनों के बीच...
कुछ बेगानों के साथ....!!

शुक्रवार, 22 जून 2012

तेरे बहाने.....



तेरे मेरे मिलने का दिन था मुकरर्र
मगर तेरे जानिब.....बहाने बहाने

किया मैंने था इंतज़ार तेरा कितना
मगर तू बनाये.......बहाने बहाने 

वो मिलने का वादा वो वादा खिलाफी
*ख़मी तुझमें लायी.....बहाने बहाने
(झुकाव)

वो छत पे बुलाना और तेरा न आना
मुझे यूँ सताना.....बहाने बहाने 

मेरे दिल में तू है तेरे दिल में क्या है
ये पूछा था तुझसे....बहाने बहाने

तेरा मुस्कुराना वो नज़रें मिलाना
फिर नज़रे झुकाना...बहाने बहाने

शनिवार, 9 जून 2012




प्रेम........
उसके आस-पास का सारा  तिलिस्म 
खत्म हो जाता है 
ये जानते ही
कि उसके आसपास जो जादू था
वो छल था .....
और
दया भर थी....!!
और फिर प्रेम भरे 
उस चेहरे को दुबारा जिलाना 
उतना ही मुश्किल हो जाता है 
जितना मरे हुए को 
फिर से सांसें देना....!! 
क्यूंकि....
प्रेम भरोसा दिलाता नहीं.... 
खुद-ब-खुद भरोसा हो जाता है 
और जब कोई तोड़ दे इसे तो..
फिर उसी के बार बार
भरोसा दिलाने पर भी 
भरोसा नहीं होता.....!! 
लेकिन प्रेम न मरता...
न खत्म होता दिल से....
बस खत्म होता है तो प्यार पे,
किसी पे भी भरोसा.....!! 
प्रेम कोई वादा नहीं.....
प्रेम.....सिर्फ होता है......
वादा न लेता है...
न  वादा देता है.....
फिर भी एक-दूसरे की आँखों में,
बातों में,साथ में और हर स्पर्श में 
न जाने कितने अनगिनत वादे 
यूं ही हो जाते हैं!
कैसे करेगा कोई वादा 
किसी को चाहने का.....
और अगर वादा किया 
तो उसके टूटने की आशंका 
हमेशा बनी रहेगी मन में...!
ये अलग बात है 
लोग प्रेम में धोखा देते हैं...
धोखा खा जाते हैं...
लेकिन इसका एहसास भी 
हो जाने के बाद ही होता हैं...!!



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तो भैया....
बस प्रेम कीजिये....
न वादा कीजिये.... 
न वादा लीजिये....
जिसे वादा तोड़ना हो 
तोड़ने दीजिये....
जब आपको प्रेम की अनुभूति हो तो 
उसका आनंद लीजिये....
खुश रहिए....
दूसरों को भी खुशी दीजिये प्रेम से......
इसे महसूस कीजिये दिल से....
पूरे दिल से...
डूब जाइए इसी में.....
टूट जाये तो सोग न मनाइए....
बल्कि धन्यवाद दीजिये उसे 
जिसने आपको प्रेम करना 
या प्रेम में होना सिखाया...
एक अनुभूति दी...
एक मीठा सा एहसास दिया...
उसने कुछ दिया ही आपको....
और देखा जाए तो 
नुकसान में भी वही रहा.....
आपके प्रेम का खजाना  
जो उसका हो सकता था....
आपके पास ही छोड़ गया...!!




शनिवार, 2 जून 2012

बहुत खामोश लम्हे हैं.......







हुत खामोश लम्हे हैं......मगर कुछ बात होती है 
कभी कहती अदा कुछ है....कभी नज़रों से होती है !

                                         वो तुझसे यूं ही मिल जाना...औ फिर मिल कर बिछ्ड जाना
                                        वो अश्कों का मचल जाना.........घड़ी मुश्किल वो होती है !         

तेरे आने की देता है...........खबर झोंका हवा का जब
महकते दिन मेरे और......... मुसकुराती रात होती है !

                                       तेरा कुछ यूं ही कह देना.....और फिर खामोश हो जाना
                                       मेरा यूं ही  समझ जाना..........खूबसूरत बात होती है  ! 

तेरे शाने पे रख कर सिर.........मुझे जब नींद आ जाए
कभी हम साथ होते तो........... कयामत साथ होती है !