मेरे जीवन के
कनवास पर
तुमने बिखराए
ढेर सारे रंग !
कुछ सूखे,कुछ गीले
कुछ लाल,कुछ हरे
कुछ नीले-पीले
कुछ फीके,बदरंग भी
कुछ शोख ,चटख रंग भी
जिनमें मेरी अपनी मासूमियत
घुलमिल गई !!
रची बसी इन्हीं रंगों में
मैं एकसार हो गई !
आज.....
एक तस्वीर हूँ मैं
तुम्हारी बनाई हुई,
जैसी भी है
रंग या बदरंग,
पूरी तरह तुम्हारी है !!
क्यूंकि....
रंग इसमें तुमने भरे हैं
बस.....
मासूमियत इसमें मेरी है ...!!
पहले लोग कहते थे ...तस्वीर बनाता हू तेरी ...तस्वीर नहीं बनती ....
जवाब देंहटाएंअब खुबसूरत रंग से खुबसूरत तस्वीर बनी
बिना मासूमियत किसी रंग का रंग नहीं है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
जवाब देंहटाएंरंग भी मासूम होते हैं .
मासूमियत पर ज़्यादा खिलते हैं.
सितारों की चमक में खो गयी हैं चाँद तस्वीरे
जवाब देंहटाएंइन्हें धुंधले हुए ख्वाबों में अब भी रंग भरता हूँ ..
बहुत सुन्दर कविता
वाह …………बहुत ही खूबसूरत अन्दाज़-ए-बयाँ है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .....मासूमयित में ही जीवन के सारे रंग भरे है.....
जवाब देंहटाएंआप सभी के विचारों के लिए ह्रदय से आभार....!!
जवाब देंहटाएंati sunder rachna....
जवाब देंहटाएंआपने अपनी सुन्दर रचना में खूबसूरत रंग भरें हैं,जिसने हमारे मन को भी रंग दिया है.एक समर्पण भाव को दर्शाती आपकी उत्तम रचना के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर एक बार तो आयें.आपको निराशा नहीं होगी,ऐसा मेरा पक्का विश्वास है.
सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंrang bhi sundar...masoomiyat bhi pyari....
जवाब देंहटाएंaap sabhi ka aabhaar....
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत अन्दाज़......सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
जवाब देंहटाएंबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
रंग-बिरंगी भावपूर्ण कविता !
जवाब देंहटाएंपूनम जी,
जवाब देंहटाएंसुभानाल्लाह.....दिल जीत लिए इन रंगों ने.....सुन्दर रचना.....इन्ही रंगों से भरा है जीवन......क्या ये तस्वीर आपकी है?
क्या बात है
जवाब देंहटाएंबस मासूमियत मेरी है...
रहनी भी चाहिए....
बहुत सुंदर
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 12 - 04 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
rango se paripoorn sunder kavita
जवाब देंहटाएंप्यार में समर्पण की अद्भुत छटा बिखेरती सुँदर कविता .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!!
जवाब देंहटाएंओह ! कितना मासूमियत भरा इजहार है.
जवाब देंहटाएंBahtareen..
जवाब देंहटाएंmasoom man ki masoom bhavnaaye piro di hain.
जवाब देंहटाएंsunder baat kahi hai aapne ...
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen.
आप सभी का ह्रदय से आभार....
जवाब देंहटाएंपूनम जी, रंग बहुत प्यारे हैं।
जवाब देंहटाएंकृपया इस शमा को जलाए रखें।
............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
पूनम जी,
जवाब देंहटाएंआपकी जज़्बात पर दोनों टिप्पणीयों का तहेदिल से शुक्रिया.....बहुत अच्छी बातें कहीं आपन.....आप भी कुछ अपने जैसी ही लगती हैं ये इस ब्लॉगजगत की खासियत है की यहाँ आपको अपने जैसे ही कई लोग मिल जाते हैं.......क्यों है न......
हाँ यहाँ जो मेरी प्रोफाइल में लगी है वो मेरी तस्वीर है जो ब्लॉग की पोस्ट में है वो गूगल से ली है......आपसे बात करके अच्छा लगा.....उम्मीद है आगे भी साथ बना रहेगा.....
खुदा हाफिज़
sabhi racnayein bahut sunder
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