आयेगा कैसे लौट के तू मेरे हमकरीब !
अल्फाज़ तेरे इस तरह काँटों से भरे हैं !!
तू देख मुझको और खुद को आज और सोच..
दरम्यान हमारे फासले ये कैसे बने हैं ??
गुजरी है जिंदगी कुछ इस तरह से दोस्तों !
दामन में चंद खुशनुमा ज़ज्बात बचे हैं !!
करते हैं मुझको छोड़ वो कहीं और गुफ्तगू !
मेरे लिए तो एक फकत आप बचे हैं !!
behad bhawpurn aur sunder.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंतू देख मुझको और खुद को आज, और सोच
जवाब देंहटाएंदरम्यान हमारे फासले ये कैसे बने हैं
खूबसूरत भाव
और बहुत अच्छी रचना
बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंआपकी कलम और आपके जज़्बात को शुभकामनायें