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गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

महकायेंगे दामन तेरा...गुलाब जैसे हों....





चिंगारी को हवा दे कोई.....ज़ज्बात ऐसे हों...
रौशन हो दिल किसी का...एहसास ऐसे हों...!


तुम जल के भी जलते रहे...रौशन न हो सके...
हम मिट के भी रौशन हुए...माहताब जैसे हों...!!


आये थे तेरी बज़्म में....कुछ सुनने सुनाने...
मिट ही गए हम तुझ पे यूँ...मुमताज़ जैसे हों...!


खुशबू-ए-गुल की कभी...कम नहीं होगी...
महकायेंगे दामन तेरा...गुलाब जैसे हों....!



संध्या...७.५०
२८/०२/२०१३



 

सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

प्रेम.....




प्यार जब होता है तो....
कुछ कहाँ दीखता है...
मीरा के भजन,
ग़ालिब के शेर,
गुलज़ार की रोमानी नज्में....
अख्तर के जादुई कलाम....
लता,रफ़ी और मुकेश की दिलकश आवाज़..
सब खुद में ही दिखाई और सुनाई देने लगते हैं..!
हर वो आवाज अपनी लगने लगती है..
जो प्रेम के गीत गाती है...
हर वो आवाज़ अपनी ही लगती है..
जो दर्द के सुर में गाती है....
प्रेम ऐसा होता है...
प्रेम वैसा होता है...

फिर भी प्रेम कैसा होता है....??
बड़ा मुश्किल हो जाता है बताना...
जब इंसान हर वक्त प्रेम में ही होता है...!!




शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

एक एहसास......







मोहब्बत...
कब स्पर्श की मोहताज़ रही है.....!!
सही कहा है किसी ने....!
जहाँ बिना छुए ही...
किसी को महसूस किया जा सके...
जहाँ बिना बोले ही... 
किसी को सुना जा सके...
जहाँ न हो कर भी...
कोई हर वक्त साथ हो...
जहाँ बिन कहे ही 
सब बात हो.... 
वहीं है प्रेम,प्यार,मोहब्बत....
या फिर कुछ और....!!
जो भी कहना चाहें कह ले आप...!!
ये वो एहसास है...
जिसे शब्दों में 
बयाँ नहीं किया जा सकता है...!!!
अमूमन दीवार खिंची ही रहती है 
हम सबके दरमियाँ...
और दीवार खींचने वाले भी 
हम ही होते हैं !!
वर्ना ये है बहुत खुबसूरत अहसास
जी सकें तो जी लें..
इसी जिंदगी में...!!!



यादें........






मेरे पास है
यादों का एक कमरा.....
जिसमें बंद हैं
कुछ एहसास..
अनजाने..
अनकहे...
अनमने..
अनछुए...!
कुछ खुशियाँ हैं...
तुम्हारी...
मेरी...
कुछ हमारी...!
कुछ गम भी हैं...
तेरे...
मेरे...
कुछ अपने...!
और हैं कुछ 
उदासियाँ भी.....
लेकिन यहाँ मैं हूँ......
सिर्फ और सिर्फ मैं.....!!
यहाँ तुम 
दूर दूर तक
नज़र नहीं आते...!!


गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

मुहब्बत जब किसी से की जाये...








एक मुहब्बत की थी मैंने...
एक मुहब्बत करती हूँ.....
एक मुहब्बत तुम थे...मैं थी...
एक मुहब्बत.......बस मैं हूँ !
तुमको पा कर पाया सब कुछ
सब कुछ पा कर खोया है 
तेरी मुहब्बत तू ही जाने
पाक मुहब्बत में....मैं हूँ !
तेरी दुनिया तू था...तू है
मेरी दुनिया थी तुझमें....
आज मेरी दुनिया है मुझमें 
आज मेरी दुनिया मैं हूँ........!!




रविवार, 10 फ़रवरी 2013

बसंत.......





                                    दूर गगन तक फैल गयी है तरुनाई...
                             झूम झूम के घूंघट खोले पुरवाई ,
                             फूल फूल पे भौंरें डोलें...मुख चूमें...
                             कली कली अनजानी खुद ही शरमाई ,
                             पीली सरसों ने सुगंध बिखरा दी अपनी...
                             गाने लगी हवा.....लो फिर बसंत आई...!!






मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

कर्ज़........





तमाम लोग है दीदार को तरसे मेरे...
और होंगे तेरे दीदार पे मरने वाले.....!

हमारे बाद ज़माने में ये चरचे र्होंगे..
एक हम ही थे यहाँ प्यार निभाने वाले.....!

हमने सोचा न था वो हमको भूल जायेगा...
एक हम ही थे उसे दिल से लगाने वाले....!

मैं किस तरह से शुक्रिया दूँ अभी से तुझको  
न जाने  कितने  क़र्ज़ हैं उतारने वाले...!!

***पूनम***