इंसान की फितरत है की वह खाली नहीं बैठ पाता है.कुछ न कुछ करता रहता है.जीवन शून्य नजर आने लगता है न कुछ करने से,इसलिए वह उस शून्य को भरने की कोशिश करता रहता है--पेट को भोजन से,समय को काम से,बुद्धि को ज्ञान से,वासनाओं को इन्द्रिय सुख से,मन को अनुभूति और संवेदनाओं से, और भी न जाने कितने तरह का भराव चलता रहता है...कभी जाने,कभी अनजाने..!! इनमें से एक स्थान पर भी कमीं रह गई तो वह अपने जीवन को सार्थक नहीं मानता. उसे लगता है की कहीं कुछ खालीपन,कहीं कुछ अपूर्ण रह गया और फिर वही चक्र भरने का................!!!
हम अक्सर बात करते हैं पूर्णता-अपूर्णता की.जिसके भी जीवन में कहीं दौड़ है,वह अपनी अपूर्णता को पूर्ण करने के लिए हैं.चाहे वह धन हो,ज्ञान हो,सुख हो,शान्ति हो, भावनाएं,संवेदनाएं....सभी कहीं न कहीं जीवन की किसी अपूर्ण अवस्था को पूर्ण करने के लिए अर्जित की जाती हैं !!
इसके लिए हमारे आस-पास ढेरों साधन भी मिल जाते हैं.समाज,समय,परिस्थिति,दोस्त,रिश्ते,इंसान और खुद भगवान् (प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष) रूप में सहायक होते रहते हैं इसमें.जीवन इसी प्रकार चलता रहता है...परिस्थितियाँ किसी भी तरह से उत्पन्न हों..किसी के साथ..किसी के द्वारा..जीवन की इस अपूर्णता को पूर्ण करने के लिए इंसान भागता रहता है--कभी किसी के साथ...कभी किसी के पास......!!!!!!
बहुत सही लिखा आपने .
जवाब देंहटाएंइंसान अपूर्ण ही है.
अपूर्ण ही रहता है.
जिस दिन पूर्ण हो जाएगा,भगवान् बन जाएगा.
शुभ प्रभात.
सुन्दर सार्थक विचार। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबस यह इंसान कि फितरत है .....आपके विचार बहुत सार्थक है ..पूनम जी आपका आभार ..
जवाब देंहटाएंhan,ekdam sach hai ki jeewan isi prakar chalta rahta hai...
जवाब देंहटाएंSach kaha .. insaani fitrat yahi to hai ...
जवाब देंहटाएंऔर वो अपूर्णता क्या कभी पूर्ण होती है .... शायद नहीं?
जवाब देंहटाएंआदरणीया पूनम जी ! यदि आप 'प्यारी मां' ब्लॉग के लेखिका मंडल की सम्मानित सदस्य बनना चाहती हैं तो
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी ईमेल आई डी भेज दीजिये और फिर आपको निमंत्रण भेजा जाएगा । जिसे स्वीकार करने के बाद आप इस ब्लाग के लिए लिखना शुरू
कर सकती हैं.
यह एक अभियान है मां के गौरव की रक्षा का .
मां बचाओ , मानवता बचाओ .
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/02/blog-post_03.html
शानदार पेशकश।
जवाब देंहटाएंडॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित हिंदी पाक्षिक)एवं
राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
0141-2222225 (सायं 7 सम 8 बजे)
098285-02666
बेहतरीन लेखन......बधाई।
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाए
कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
माफ़ी चाहता हूँ