तूने नहीं जाना,न पहचाना मुझे अभी !
दामन में तेरे रहती हूँ, मैं वो बहार हूँ !!
आये न शर्म खुद पे,तुझे मेरे हमनशीं !
तेरे लिए मैं,खुद से ही खुद शर्मशार हूँ !!
फिर भी रही कमी,न रहा मुझसे रू-ब-रू !
कहने को किसी को,तू कहे-"तेरा प्यार हूँ !!"
जो तेरा था तुझी ने,खुद उसको भुला दिया !
कोई न मिलेगा,जो कहे-"तेरा प्यार हूँ !!"
जाने क्या खोज है तुझे,कि फिरे तू दर-ब दर !
"बन्दे की दुआ",कोई कहे-"तेरा इंतज़ार हूँ !!"
खूबसूरती से समेटे हैं जज़्बात ..
जवाब देंहटाएंसंगीता जी...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया....!!!!!!!!!!
bhawnaon ki aandhi hai.....
जवाब देंहटाएं"बस यूँ... ही..." पर पहली बार आना हुआ - भावों की गागर है आपकी यह रचना - शीर्षक होता तो सोने पर सुहागा होता.
जवाब देंहटाएंsunder kavita hai
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