मेरी मोहब्बत को समझ कर के मेरी मजबूरी,
वो आजमाता रहा मुझको मेरे खुदा की तरह!
ज़माने भर कि नमी भर के मेरी आँखों में,
उदासियाँ तमाम दे गया सौगात की तरह!
ख्वाब देखे थे जिसके साथ मैंने शाम-ओ-सहर,
दामन में फूल बो गया काँटों की तरह!
वो आजमाता रहा मुझको मेरे खुदा की तरह!
ज़माने भर कि नमी भर के मेरी आँखों में,
उदासियाँ तमाम दे गया सौगात की तरह!
ख्वाब देखे थे जिसके साथ मैंने शाम-ओ-सहर,
दामन में फूल बो गया काँटों की तरह!
बेहद कड़वा अनुभव पूनम जी
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अभिव्यक्ति
बड़ी ही सुंदरता से उभारा है मनोभावों को.....सुन्दर रचना के लिए आपका आभार.
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