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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

Unconditional Love..............








बड़ा ही विस्तृत विषय है ये प्यार !!!
न जाने कितने लोग लिख गए हैं... 
न जाने कितने लोग लिख रहे हैं... 
न जाने कितने और लोग लिखेंगे...
इस 'भावना' पर....!!
एक अथाह...अनन्त....सरल...
और उतना ही दुरूह....!
लेकिन प्यार की सुन्दरता....
किसी भी तरह 
बखानी ही नहीं जा सकती.
कितना भी कोई कह दे.... 
कम ही लगता है.....
हर किसी को अपना प्यार 
दूसरे से ज्यादा गहरा लगता है !
और खूबसूरत भी.....
क्यूँ न हो....!
प्यार है ही ऐसा....!!
लेकिन मुसीबत आ खड़ी होती है
जब लोग आपस में ही 
प्यार की गहराई नापने लगते हैं..
अपनी छोड़ कर...
दूसरे की समर्पण की भावना 
ताकने लगते हैं....!
क्यूँ भाई तुम कितने समर्पित हो 
अपने प्यार के प्रति...??
अगर आपस में प्यार है तो...
'समर्पण' के बिना हो ही नहीं सकता....!
और ऐसी बातें भी 
तभी उठती हैं जब देखने वाला 
'समर्पण' के लिए केवल 
सामने वाले की तरफ देखते रहता है...!
खुद भी समर्पित होना है प्यार में 
स्वयं ही भूल जाता है.....!!
प्यार कभी भी एकतरफा नहीं होता....!
चाहे वो राधा-श्याम का हो,
सीता-राम का हो,
या मीरा-श्याम का...!
उदाहरण के लिए बातें 
हम इन्हीं लोगों की करते हैं..
लेकिन इन चरित्रों से जुडी
प्यार की भावना को नहीं देख पाते हैं !
प्यार में कोई कुछ पा के खोता है 
तो कोई कुछ खो के पा जाता है....!!
किसने क्या पाया और किसने क्या खोया..
ये खोने और पाने वाला ही जानता है...!
समर्पण भी तभी सार्थक है 
जब सामने वाला उसके काबिल हो....
वर्ना कुपात्र को किया गया 
समर्पण भी व्यर्थ ही जाता है.....!
एकतरफा प्यार भी....
ज्यादा दिन चलता नहीं है.....!
प्यार में न हो ईमानदारी दोनों तरफ 
तो प्यार भी फलता नहीं है....!!
प्यार करने की बातें 
कोई कितनी भी करे...
लेकिन प्रेम में सच्ची साझेदारी....
शायद ही कोई करे...!
कुछ न कुछ छुपाव-दुराव 
खुद रखते हैं बीच में 
और फिर वही लोग 
बातें भी करते हैं.....
"unconditional love "
और प्यार में "समर्पण" की !
कभी खुद के दिल में भी झांकें....
थोड़ा खुद को भी टटोलें..
क्या कभी खुद को भी 
दूसरे के प्रति समर्पित किया है 
पूरी ईमानदारी के साथ उन्होंने.....???




13 टिप्‍पणियां:

  1. there can be no better thought in
    in love .love in truest sense is always unconditional,
    nice thought and expression

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  2. प्यार सदा ही शब्दों की परिधि के बाहर रहेगा..

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  3. पूर्ण समर्पण इसकी पहली और आखिरी ज़रूरत है।

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  4. प्यार तो वही मिठास या स्वाद है जो बतायी नहीं जा सकती रगों में प्रवाहित होता सा लगता है..

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  5. आज कुछ अलग तेवर हैं ... प्यार को कब , कौन परिभाषित कर पाया है ...

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    उत्तर
    1. संगीता जी....
      सही कहा आपने...
      "प्यार"इतनी "विस्तृत भावना" है कि जितना भी कहा जाए,लिखा जाए कम ही लगता है...एक अदना से इंसान से ले कर सम्पूर्ण देश...देश क्या विश्व ही आ जाता है इसके दायरे में..!
      infact,जब दो इंसान प्यार करते हैं तो उन्हें अपना प्रेम व्यक्त करने में शब्दों की कमी महसूस होने लगती है...!
      और परिभाषित तो कभी किया ही नहीं जा सकता है...हम ही अपनी छोटी बुद्धि से इसे किसी न किसी रूप में बाँधने की कोशिश करते रहते हैं..!!
      आश्चर्य तब होता है जब यही "Unconditional Love" का राग आलापने वाले अपने ही प्यार में सारे condition लगाते हैं और दूसरों से अपने लिए "Unconditional Love " की अपेक्षा करते हैं......!
      वैसे मैं तो प्यार में न कोई condition मानती हूँ और न कोई अपेक्षा या उपेक्षा.....शुद्ध रूप से प्रेम,प्यार,लव न बंधता है न बाँधा जाता है....एक ईमानदारी भरी साझेदारी जरूर मानती हूँ जहाँ एक-दूसरे की भावनाओं की,संवेदनाओं की कद्र और care हो......बाकी तो इसके रूप अनेकों हैं और प्रेम करने के तरीके भी....हम कौन सा रूप और तरीका अपनाते है....बात सिर्फ इतनी है....!!

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  6. बात तो आपने सही उठायी है …………लोगों की कथनी और करनी मे बडा फ़र्क होता है।

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  7. दी आज तो जैसे दिल की हर बात कह दी........बिकुल सही है सहमत हूँ हर बात से ।

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  8. प्यार एक ऐसा एहसास है जिसका कोई मोल नहीं...यह मन का विस्तृत आकाश है जो तन से परे है...पर दुर्भाग्य यह की बहुत लोग शरीर के परे सोच नहीं पाते....आपने जिस तरह से प्यार को परिभाषित किया है, वह सराहनीय है...बधाई।

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  9. सच है ... प्यार को सीमा में और शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता ... ये एहसास महसूस किया जाता है ...

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  10. यदि प्रेम लेन देन है तो बहुत सटीक रचना !!

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