फूल ही फूल से खिल जाएँ जो तुम हंस दो ज़रा
मंजिलें पास में आ जाएँ....ज़रा तुम साथ चलो !
जाने क्या खो गया है.......आज इस तन्हाई में'
वो भी हो जाएगा हासिल.....जरा तुम साथ चलो !
ये खिला चाँद.......ये हवाएं........शबनमी रातें
सभी हो जाएँ मेहरबाँ.......जरा तुम साथ चलो !
वैसे मैं खुश ही हूँ........तू साथ रहे......या न रहे
होगी कुछ बात अलग सी....ज़रा तुम साथ चलो !
जो दिया तूने......उसे रखा है.......सिर माथे पे
कभी तू भी तो ले इलज़ाम....जरा तुम साथ चलो !
मेरे ज़नाज़े में हो जायेंगे....यूँ तो सभी शामिल
मगर होगा नया अंदाज़......जरा तुम साथ चलो !
bahot pyari kavita hai......
जवाब देंहटाएंजो दिया तूने......उसे रखा है.......सिर माथे पे
जवाब देंहटाएंकभी तू भी तो ले इलज़ाम....जरा तुम साथ चलो !
बेहतरीन पंक्तियाँ!
सादर
वाह …………………बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअगर उसके बिना भी खुश रहना आता है तब वह साथ नहीं भी चल सकता...वह बहुत नखरे वाला है...आभार!
जवाब देंहटाएंsaath chalnaa ,saath nibhaanaa
जवाब देंहटाएंkar degaa hasratein sab pooree
jaraa tum saath chalo
बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गजल ... अंतिम दो शेर लाजवाब
जवाब देंहटाएंमगर होगा नया अंदाज़--- जरा तुम साथ चलो
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शेर पूनम जी !
dhanyavaad dadu.....
जवाब देंहटाएंवैसे मैं खुश ही हूँ.....
जवाब देंहटाएंवाह!
सुन्दर रचना बधाई .
जवाब देंहटाएंसादर
किसी का साथ मिल जाये तो मंजिल आसन हो जाती है.....सुन्दर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंबस एक साथ बना रहे..
जवाब देंहटाएंकोमल भाव
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना:-)
खूबसूरत अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसादर.
जब वो साथ हों तो सब कुछ आसानी से मिल जाता है ... दरअसल तब कोई इच्छा ही नहीं रहती है ....
जवाब देंहटाएंकेवल एक शब्द..... वाह !
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