अनछुए से शब्द मेरे
गीत तुम आवाज़ हूँ मैं,
तान हो तुम बांसुरी की
और उसका राग हूँ मैं....
और उसका राग हूँ मैं....
तेरी साँसों सी सुगन्धित
तेरी अलकों से सुशोभित,
तेरी पलकों में बसी मैं
एक मादक रात हूँ मैं....
तुम मेरे मन में हो प्रियतम
तुमको ही देखूं मैं निसदिन,
हाथ में जब हाथ तेरा
हर समय मधुमास हूँ मैं....
हो भले जीवन ये कंटक
चाह तेरी है ये जब तक,
भूल कर दुनिया ये सारी
एक तेरे साथ हूँ मैं....
समर्पण की भावना बहुत ही प्रेरक है।
जवाब देंहटाएंbhakt ka adbhut prem...........
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर शब्दों से सजी
जवाब देंहटाएंbahut din baad.....
हटाएंsukhad aashcharya....
dhanyvaad....
parmaatmaa aapkaa saath banaaye rakhe
जवाब देंहटाएंaapkaa writing world mein active honaa sukhad ahsaas hai
keep it up
बहुत सुन्दर भक्ति से ओत-प्रोत ये सुन्दर पोस्ट.....कृष्ण की ये तस्वीर भी बहुत सुन्दर है|
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
कल 03/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
dhanyavaad yashvant...!!
हटाएंअवलंबन पूरा होता है..
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति......सराहनीय.....
जवाब देंहटाएंनेता,कुत्ता और वेश्या
bahut sundar bhaavon ki abhivyakti.
जवाब देंहटाएंभक्तिपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंप्रेममयी रचना..
समर्पित प्रेम की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar rachna..
जवाब देंहटाएंbhaktibhaav se poorn.. aur achook lay se saji hui.. :)
kabhi waqt mile to mere blog par bhi aaiyega.. aapka swagat hai..
palchhin-aditya.blogspot.com
खूबसूरत भावों को समेत है .. सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहाथ में जब हाथ तेरा
जवाब देंहटाएंहर समय मधुमास हूँ मैं
...
वाह आजकल कलम में कमाल कि रवानी छायी हुई है पूनम जी !!
वाहहहहह ....वाहहहहह....वाहहहहहहहहहह Punam Sinha साहिबा..कमाल की खूबसूरत रचना..बहुत ही सुंदर भावों और सुंदर शब्दों से जादूगरी की है आपने... बाँसुरी का राग और मादक रात ...क्या कहने...वाह वाह वाह ... बहुत उम्दा..
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