गर पढ़ो तुम जो तरन्नुम में.....ग़ज़ल होती है
इसमें कुछ बात मोहब्बत की....बयाँ होती है !
और अल्फाज़ भी होते हैं कभी....तल्खी लिए
चोट दिल पर करे कोई तो......अयाँ होती है !
इसमें कुछ शख्स भी शामिल हैं यारों..'बस यूँ ही'
कोई आशिक तो कोई बज्मे रवाँ...'बस यूँ ही' !
अश्क और इश्क से बरकत है बज़्म....'बस यूँ ही'
ये बज़्म मेरी दिल अज़ीज़ मुझको......'बस यूँ ही' !
मेरी महफ़िल है.....नज़्म मेरी......शम्मा,परवाने
न जाने क्यूँ.......तुझे न भाए......हम न ये जाने ?
तुझको आदत है भटकने की यूँ....महफ़िल-महफ़िल
शमाँ जली मेरी......क्यूँ उस पर नज़र......परवाने ?
खुदा के नूर से....रौशन है आज....बज़्म मेरी
है एतबार...इंतज़ार....इन्तिखाब......'उसका'
उसके आफ़ताब से....पुरनूर है ये....बज़्म मेरी !
न इसमें गम है.....न एहसास बदगुमानी का
न बददुआ ही......न एहसास है तकब्बुर का !
रहे पुरनूर ये महफ़िल......खुदा की नेमत है
भरोसा मुझको है ....मेरे खुदा की बरकत का..!
sundar post a good verse...../
जवाब देंहटाएंvisit my blog 'punam jee"
नज़्म इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है।
जवाब देंहटाएंकुछ कठिन शब्दों (जैसे तकब्बुर) के अर्थ दे देतीं तो हम जैसे आम पाठकों को और भी समझ में आती।
takbbur means 'ego'....
हटाएंyahan tak aane ke liye shukriya....
थोड़ा कठिन हो गयी शब्दावली..समझते हैं धीरे धीरे..
जवाब देंहटाएंkya baat hai..
जवाब देंहटाएंshaandaar bazm hai aapki.. :)
milegee khudaa kaa barkat aapko
जवाब देंहटाएंye hamne bas yun hee
nahee kahaa
प्रवीण जी ने सही कहा है ... कुछ शब्दों के अर्थ समझने होंगे ....पर फिर भी सार समझ आ रहा है ...
जवाब देंहटाएंखुदा की बरकत में ही भरोसा होना चाहिए ... किसी को ज़बरदस्ती अपनी बज़्म में नहीं बुला सकते
shukriya Sangeetaji....
हटाएंaapka sneh bana rahe isi tarh....
भरोसा भी खुदा की नेमत ही है..उम्दा नज़्म..
जवाब देंहटाएंसुन्दर....चौथा पैरा सबसे अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंbahot khoobsurat.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंshkriya dadu...
जवाब देंहटाएंनज्म की खूबसूरती देखते ही बनती है.....
जवाब देंहटाएंनेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
बेहतरीन नज़्म...
जवाब देंहटाएंदाद कबूल करें...
kubool hai Vidyaji...!
हटाएंzahe naseeb...!!