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सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

एहसास




आप किसी चीज़ को पकड़ कर
रखने की कोशिश करते  हैं,
तो उसके छूटने पर
आपको दर्द और दुःख का
एहसास होता है.
जब हाथ ही खुला हो
तो छूटने का या--
छोड़ने का दर्द नहीं होता..
हथेली पर,
रह जाता है.....
उसका एक मीठा सा एहसास !
जिसे आप जहाँ चाहें,
जब चाहें...
महसूस कर सकते हैं !!
बंद मुट्ठी
खुलने पर तनाव का
एहसास दिलाती है !!
फिर बात हथेली की हो
या दिल की...............!!!

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही मर्मस्पर्शी अहसास.
    सुन्दर नज़्म.

    आपकी कलम को शुभ कामनाएं.

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  2. बेहतरीन पंक्तियाँ ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  3. जब किसी से कोई expectations ना हो तो बाद में दुःख नहीं होता....
    बढ़िया संवेदना

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर रचना ............बसंत पंचमी की शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  5. ऐसी अनुभूति सभीको आती है. लाजवाब रचना!बसंत पंचमी की शुभकामनाये पुनमजी!!!!!

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  6. पूनम जी आपका ब्लॉग और रचनाएं अच्छी लगीं ... परसों ११ फरवरी को आप कि यह रचना चर्चामंच पर होगी... सादर
    http://charchamanch.blogspot.com...वहाँ आ कर अपने विचार से अनुग्रहित करें और टिपण्णी भी दें...

    जवाब देंहटाएं
  7. bahut sunder....kisi ko bandhne se khone ka dar hamesha rhta aur agar mukat kar do to kitna sukun...ati sunder...

    जवाब देंहटाएं
  8. फिर बात हथेली की हो
    या दिल की.......!!!

    कितने साहसी होते हैं वे लोग जो हथेला या दिल खुला रख कर मुस्कराते हुए जी लेते हैं।एक साहसिक सुंदर रचना।

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  9. सही कहा...

    सुन्दर भावाभिव्यक्ति...

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  10. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  11. हम्म्म्... सही तो है....!

    पर सहमति धीरेंद्र जी से " कितने साहसी होते हैं, वो लोग जो हथेली खुला रख के मुस्कुरा लेते हैं।"

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