जब भी कभी-
सोचा है तुम्हारे बारे में,
मैंने अपनी तन्हाई में
तो यूँ लगा कि...
जैसे तुम पास हो मेरे
बहुत ही पास !!
इतने कि -
मैं तुम्हें.....
हाथ बढ़ा कर
छू सकती हूँ.
मैंने तुम्हारा स्पर्श
महसूस भी किया है
ऐसे पलों में,
जबकि मैंने तुम्हें
अपने पास पाया है
ऐसा हर एक लम्हा
जो तुम्हारे साथ गुज़रा है मेरा
संजो कर रखा है मैंने !!
क्योंकि,
इन लम्हों में तुम मेरे पास होते हो,
मेरे बहुत-बहुत पास !!!
atyant bhawpurn aur bilkul dil ke kareeb....
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
बहुत ही खूबसूरत अहसास.
जवाब देंहटाएंआपकी कलम को सलाम
bahut hi sunder ehasas
जवाब देंहटाएंaapka sukriya
BAHUT HI SUNDER ABHIVYAKTI ../
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अह्सासपूर्ण अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंअह्सासपूर्ण यथार्थमय सुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएंकविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.
अह्सासपूर्ण यथार्थमय सुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएंकविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.
sunder ahasaso se bhari rachna...
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 05-04-2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में ......सुनो मत छेड़ो सुख तान .
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
आकर्षक...
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