प्यार जब होता है तो....
कुछ कहाँ दीखता है...
मीरा के भजन,
ग़ालिब के शेर,
गुलज़ार की रोमानी नज्में....
अख्तर के जादुई कलाम....
लता,रफ़ी और मुकेश की दिलकश आवाज़..
सब खुद में ही दिखाई और सुनाई देने लगते हैं..!
हर वो आवाज अपनी लगने लगती है..
जो प्रेम के गीत गाती है...
हर वो आवाज़ अपनी ही लगती है..
जो दर्द के सुर में गाती है....
प्रेम ऐसा होता है...
प्रेम वैसा होता है...
फिर भी प्रेम कैसा होता है....??
बड़ा मुश्किल हो जाता है बताना...
जब इंसान हर वक्त प्रेम में ही होता है...!!
प्रेम मन में होता है, उसे बस व्यक्त करने का साहस भर हो।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंएक चीज है दिल, प्रेम शायद उसमे मिल जाय
जवाब देंहटाएंnew postक्षणिकाएँ
बिल्कुल सही कहा
जवाब देंहटाएंprem me sab kho jate hain....
जवाब देंहटाएंBlogVarta.com पहला हिंदी ब्लोग्गेर्स का मंच है जो ब्लॉग एग्रेगेटर के साथ साथ हिंदी कम्युनिटी वेबसाइट भी है! आज ही सदस्य बनें और अपना ब्लॉग जोड़ें!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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waah...kamaal ki rachna..bahut sundar prastuti...bahut bahut badhai
जवाब देंहटाएंwah! biklul sahi kaha aapne.
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