चिंगारी को हवा दे कोई.....ज़ज्बात ऐसे हों...
रौशन हो दिल किसी का...एहसास ऐसे हों...!
तुम जल के भी जलते रहे...रौशन न हो सके...
हम मिट के भी रौशन हुए...माहताब जैसे हों...!!
आये थे तेरी बज़्म में....कुछ सुनने सुनाने...
मिट ही गए हम तुझ पे यूँ...मुमताज़ जैसे हों...!
खुशबू-ए-गुल की कभी...कम नहीं होगी...
महकायेंगे दामन तेरा...गुलाब जैसे हों....!
संध्या...७.५०
२८/०२/२०१३
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंlatest post मोहन कुछ तो बोलो!
latest postक्षणिकाएँ
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंगुलाब के लिये सोच बढिया है
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब दी........कभी कभी हमारे ब्लॉग के लिए भी वक़्त निकल करो ।
जवाब देंहटाएंवाह..बहुत उम्दा सोच..
जवाब देंहटाएंtum jal ke bhi jalte rahe... raushan na ho sake......... ati sundar
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