मोहब्बत...
कब स्पर्श की मोहताज़ रही है.....!!
सही कहा है किसी ने....!
जहाँ बिना छुए ही...
किसी को महसूस किया जा सके...
जहाँ बिना बोले ही...
किसी को सुना जा सके...
जहाँ न हो कर भी...
कोई हर वक्त साथ हो...
जहाँ बिन कहे ही
सब बात हो....
वहीं है प्रेम,प्यार,मोहब्बत....
या फिर कुछ और....!!
जो भी कहना चाहें कह ले आप...!!
ये वो एहसास है...
जिसे शब्दों में
बयाँ नहीं किया जा सकता है...!!!
अमूमन दीवार खिंची ही रहती है
हम सबके दरमियाँ...
और दीवार खींचने वाले भी
हम ही होते हैं !!
वर्ना ये है बहुत खुबसूरत अहसास
जी सकें तो जी लें..
इसी जिंदगी में...!!!
भावपूर्ण अभिव्यक्ति | सादर |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंछोटी सी ज़िन्दगी.....दीवारें बड़ी खडीं....
जाने क्यूँ???
अनु
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंlatest postमेरे विचार मेरी अनुभूति: मेरी और उनकी बातें
आनन्दमय अनुभव तो मन के स्तर पर होता है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकल २४/०२/२०१३ को आपकी यह पोस्ट Bulletin of Blog पर लिंक की गयी हैं | आपके सुझावों का स्वागत है | धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया तुषार....!
हटाएंवाह ... बहुत खूबसूरत नज़्म
जवाब देंहटाएंसुन्दर,,,,,,,,,,,,, अति सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंनया लेख :- पुण्यतिथि : पं . अमृतलाल नागर