तमाम लोग है दीदार को तरसे मेरे...
और होंगे तेरे दीदार पे मरने वाले.....!
हमारे बाद ज़माने में ये चरचे र्होंगे..
एक हम ही थे यहाँ प्यार निभाने वाले.....!
हमने सोचा न था वो हमको भूल जायेगा...
एक हम ही थे उसे दिल से लगाने वाले....!
मैं किस तरह से शुक्रिया दूँ अभी से तुझको
न जाने कितने क़र्ज़ हैं उतारने वाले...!!
***पूनम***
बढ़िया ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंअनु
बहुत ज़ालिम हैं ये ज़माने वाले.........बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंकभी भूल के भी मेरी गली आया करो.........
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर अभिव्यक्ति | आभार
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंकर्ज तले हम दबे हुये हैं,
जवाब देंहटाएंकौन उतारे, रोज बढ़े जो।
उम्दा अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंLatest postअनुभूति : चाल ,चलन, चरित्र (दूसरा भाग )
bahot achchi lagi.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति की है इन साधारण से शब्दों मे भी बहुत गहनता है सा
जवाब देंहटाएंhttp://nimbijodhan.blogspot.in/