प्यार पे उज़्र तो रहता है यूँ जमाने को
ये अलग बात है ये आज हुआ है तुमको !
साथ चलते हुए तुम यूँ कहीं मुड़ जाओगे
हमारे इश्क से भी तुम यूँ मुकर जाओगे !
सुकून,चैन मेरा खो गया मिल कर तुझसे
वो मेरा इश्क था मासूम जो किया तुझसे !
मगर कभी न तुझे मुझपे एतबार रहा
तेरा वजूद ही हरदम यूँ बेकरार रहा !
तलाश खुद की ही तुझको रही महफ़िल महफ़िल
मैं हुई तुझसे.....मगर तू हुआ खुद से गाफ़िल !
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bahvpurn..bheetreen
जवाब देंहटाएंबस अपने को ढूढ़ रहा हूँ,
जवाब देंहटाएंभीड़ों के भीतर तकता हूँ,
अनसमझे को ढूढ़ रहा हूँ।
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर अभिव्यक्ति.. इसे ग़ज़ल तो संभवतः नहीं कहा जा सकता..लेकिन हर ख्याल अपने आप में पूरा है..!!
जवाब देंहटाएंthe last one is amazing
जवाब देंहटाएंBahut sundar...
जवाब देंहटाएंBeautiful post...
जवाब देंहटाएंhttp://apparitionofmine.blogspot.in/
बहुत सुंदर कृति..
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