शतरंज का खेल
भले न आता हो तुम्हें...
लेकिन शब्दों से शतरंज
तुम बखूबी खेल लेते हो ,
और सामने वाले को
सीधे-सीधे मात भी दे देते हो ...!
न जाने कैसे जान जाते हो तुम
कि कौन सा शब्द चलने से
कौन धराशायी हो जायेगा....!
और यदि इतने पर भी न हुआ
तो तुम्हारे पास और भी चालें हैं...!हर जिंदगी में भावनाओं की,
संवेदनाओं की,धन की अहमियत से भी
अनभिज्ञ नहीं हो तुम....!
अपनी चालों में इनका इस्तेमाल
तुम बखूबी कर लेते हो....!
और सामने वाले को....
इसका पता भी नहीं चल पाता !
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं
जिन्हें तुम्हारी इन चालों का भान है !
उनके लिए जीवन की
छोटी छोटी बातें,
छोटी-छोटो सच्चाइयाँ ही
जीने के लिए मायने देती हैं !
बड़ी बड़ी बातों की ये चालें
भले ही तुम्हारे मन को संतोष दे दें,
तुम्हारे अहं को.....
जीत के एहसास से भर दें...!
लेकिन तुम भी ये
अच्छी तरह जानते हो
कि तुम्हारे खेलने की प्रवत्ति का
उन्हें भी आभास है.......!
इसलिए उन लोगों के सामने तुम
हमेशा छोटे ही नज़र आओगे
क्यूँ कि.....
वो तुम्हें जानते हुए भी
तुम्हारी इन चालों से
खुद को तुम्हारे सामने
हारा हुआ दिखाते हैं...!!
shayad sabhi ki jindagi me ye insaan hota /hoti honge...saral magar bahut sateek rachana
जवाब देंहटाएंshayad sabhi ki jindagi me ye insaan hota /hoti honge...saral magar bahut sateek rachana
जवाब देंहटाएंऐसा हर कदम पर महसूस होता है...जीवन मे ऐसे लोगों की कमी नही है..अपने मनोभावों को बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है...बहुत सुन्दर रचना है..
जवाब देंहटाएंशब्दों से खेलने तक ठीक है पर किसी की भावनाओं से खेलने के लिए शब्द का उपयोग ठीक नहीं ...
जवाब देंहटाएंचालें और प्रतिचालें..
जवाब देंहटाएंजीवन की शतरंज और भावनाओ की चालें........वाह बहुत ही सुन्दर है पोस्ट।
जवाब देंहटाएंशब्दों का शतरंज ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब रचना ,... चालें ओर फिर चालें ... सभी चालें कमाल हैं ...