बोलों को जब गीत मिले तो
जीवन को संगीत मिले तो,
कुछ बिछड़े से मीत मिले तो
मन विश्राम वहाँ है पाता !
कुछ न सोचें और लिख जाएँ
शब्द अनमने से मिल जाएँ,
होंठ न खुलें फिर भी गाएं
मन विश्राम वहाँ है पाता !
मन की दुविधा जब मिट जाए
दूर कोई जो पास आ जाए,
बिना छुए कोई छू जाए
मन विश्राम वहाँ है पाता !
पंख नहीं फिर भी उड़ जाएँ
पर्वत पर यूँ ही चढ़ जाएँ,
बाहों में आकाश उठायें
मन विश्राम वहाँ है पाता !
सांस यूँ ही थम सी जाती है
कोयल जब पी पी गाती है,
याद किसी की यूँ आती है
मन विश्राम वहाँ है पाता !
मैंने ऐसा गीत जो गाया
जो खोया था फिर से पाया
बिन आये ही जब तू आया,
मन विश्राम यहाँ है पाता....!
sach.....man to wahin vishram pata hai.
जवाब देंहटाएंवाह ..बहुत सुन्दर .. मन को विश्राम आ जाये तो बात ही क्या है ..
जवाब देंहटाएंmaine aisa geet jo gaya
जवाब देंहटाएंjo khoya tha fir se paaya
bin aaye hi jab tu aaya.... Waah!
Punam ji aadbhut bhav hain sadguru ho ishwar ho ya priytam ho ...wah bina aaye hi to aa jata hai hamaare jeewan me !
bahut khoob aur tabhi sach me man ko vishram bhi milta hai !
बहुत ही सुन्दर ..........सच यही कहीं सुकून मिलता हैं |
जवाब देंहटाएंकाश मन को ऐसे ही विश्राम मिलता रहे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद्|
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat....
जवाब देंहटाएंkismat waalaa hai wo
जवाब देंहटाएंjiske man ko vishraam miltaa hai
umdaa khyaalon se labrez.....
क्या सुन्दर गीत... सादर बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति, अच्छी रचना,
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
काश...दिन-रात क्रियाशील मन को कहीं/ कभी तो विश्राम मिले...
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