तेरा एहसास, तेरा प्यार इसमें शामिल था...
तू भूल जाये भी तो मैं न भुला पाऊँगी !
मेरी वफ़ा को मिली तेरी बेवफाई यूँ...
खुदा मुआफ भी कर दे मैं न कर पाऊँगी !
तुझे न होगा इल्म अब तलक किया क्या है...
गुनाह तेरे मैं दुनिया से यूँ छुपाऊँगी !
मेरी हसरत है के देखूं कभी मैं दिन वो भी...
तुझे उम्मीदे वफ़ा हो...मैं मुकर जाऊँगी !
खुदा करे कि तू चाहे......ओ टूट कर चाहे...
नज़र मिली भी कभी तो मैं पलट जाऊँगी !
२६-०३-२०१२
"very nice thoughts."
जवाब देंहटाएंBy sagar anand on तुझे उम्मीदे वफ़ा हो..... at 6:25 AM
"वाह ... प्यार सा रिवेंज .... तुम्हें उमीदे वफा हो और मैं मुकर जाऊं ... बहुत खूब ..."
जवाब देंहटाएंBy "दिगम्बर नासवा" on "तुझे उम्मीदे वफ़ा हो"..... on 3/28/12
"सुभानाल्लाह....बेहतरीन और मुकम्मल ग़ज़ल......दाद कबूल करें।"
जवाब देंहटाएंBy 'इमरान अंसारी' on 'तुझे उम्मीदे वफ़ा हो'..... on 3/27/12
"तुझे न होगा इल्म .....यु छुपाऊँगी . आपके ब्लॉग पढ़ना बहुत अच्छा लगा .अच्छी रचना है"
जवाब देंहटाएंBy 'भावना' on 'तुझे उम्मीदे वफ़ा हो'..... on 3/26/12
"बहुत खूब, सशक्त भाव।"
जवाब देंहटाएंBy 'प्रवीण पाण्डेय' on 'तुझे उम्मीदे वफ़ा हो'..... on 3/25/12
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंnateejaa kuchh bhee ho
जवाब देंहटाएंjab dil de hee diyaa
har haalaat se gujar jaayenge
hasratei pooree ho naa ho
dil se koshish karne kaa sukoon leka jaayenge
खुदा करे कि तू चाहे......ओ टूट कर चाहे...
जवाब देंहटाएंनज़र मिली भी कभी तो मैं पलट जाऊँगी !
बहुत खूब ..... खूबसूरत गजल
nazar mile or mae palt jaungi.....par sach kahu sakhi easa nahi kar paougi.....bahut khub.....
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया....बहुत बेहतरीन प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया...!
हटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
शुक्रिया यशवंत.....!!
जवाब देंहटाएंअपेक्षाओं से भरा प्रेम या प्रेम से भरी अपेक्षा।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.....!
हटाएंबहुत बहुत खुबसूरत है ग़ज़ल....दाद कबूल करें इसके लिए।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया...!
हटाएंवाह! कमाल की अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.....!
हटाएंशुक्रिया दादू...!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया...!
जवाब देंहटाएंखुदा करे कि तू चाहे......ओ टूट कर चाहे...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत !!
बढ़िया पंक्तियां... वाह!
जवाब देंहटाएंसादर बधाई।
तुझे न होगा इल्म अब तलक किया क्या है...
जवाब देंहटाएंगुनाह तेरे मैं दुनिया से यूँ छुपाऊँगी !
वाह वचन बधध्ता हो तो ऐसी !
खुदा करे कि तू चाहे......ओ टूट कर चाहे...
जवाब देंहटाएंनज़र मिली भी कभी तो मैं पलट जाऊँगी ! waah pyar ka dusra pahlu....
वाह! क्या लाज़वाब अंदाज़ है प्यार का..बेहतरीन गज़ल..
जवाब देंहटाएंवाह!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल....
प्यार भी तकरार भी?????
सस्नेह.
behad sunder khayaalon se saji gazal..!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना। भावों को अभिव्यक्त करने मे कहीं कसर नही।
जवाब देंहटाएंगुनाह छुपाना भी और नज़र मिलने पर पलट जाना भी ...प्यार तो यही है ...सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंपूनम जी नमस्ते !
जवाब देंहटाएं"खुदा करे की तू चाहे औ टूट कर चाहे ..
नज़र मिली भी तो कभी मैं पलट जाउंगी ..."
.......वाह ... खुदा करे वो 'दिन' भी जल्द आये की वो क्वाहिश्मंद हो और हम सितम ढाये ...
bahut khoob.....
जवाब देंहटाएंek taraf gunah chupaane kee baat ....phir palat jaane kee baat ......gunah chupaaye hain to saaf jahir hai chahat hai..aaur chahat hai to palata nahi jaa sakta...bahut acchi rachna hai...sadar badhayee aaur amantran ke sath
जवाब देंहटाएंthanks for this... I really like it...
जवाब देंहटाएंमेरी निःशब्द भावनाए....सादर अर्पित
जवाब देंहटाएंसंजीदा भावनाएं ... उम्दा रचना है ...
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंThanks for sharing, nice post! Post really provice useful information!
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