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रविवार, 2 दिसंबर 2012

वजूद........






तेरे होने के एहसास को 
इस तरह जिया है मैंने
कि अब अपने होने का एहसास ही
खो गया है मुझसे कहीं...!
अब एहसास है मुझे 
बस मेरे वजूद का,
और नहीं भी है....
क्यूँ कि वो मिल गया है..
तेरे वजूद के संग...!!



8 टिप्‍पणियां:

  1. थोडे शब्दों में बहुत कुछ कह डाला,आपने.

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. पिछली टिप्पणी में गलत सूचना के लिये खेद है ---

    दिनांक 16 /12/2012 (रविवार)को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. वजूद मेरा मिल गया तुम से अब हमारा वजूद एक है ..मेरा वजूद तुम्ही से है. बहुत खूब

    मेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है नम मौसम, भीगी जमीं ..

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