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गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

तुम्हारे लिए.....



मेरी डायरी से..
२१-९-२००६
बरौनी रिफायनरी



आज मैं खुश हूँ....
शायद  हाँ !
शायद नहीं !
हाँ,इसलिए कि
मैं आज महसूस कर रही हूँ
कि मुझमें हिम्मत है..
कुछ सोचने की..!!
तुमसे अलग,
तुम्हारे बिना...
तुमसे दूर भी रह सकती हूँ !
और नहीं भी....
क्यूँकि अभी भी तुम मेरे साथ हो
मेरे पास,
मेरे भीतर ही,
चाह कर भी तुम्हें
अपने से दूर नहीं कर पा रही हूँ..
सोचती हूँ बार-बार
कोशिश भी करती हूँ हर बार
कि तुम्हें भुला दूं..
लेकिन मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ
हो भी नहीं सकती,
तुम केवल अपने में जीते हो
और मैं तुम्हारे साथ ही !
मेरे मन का हर कोना
तुम्हारे एहसास से गीला है
और अगर उसे किसी ने सुखाया है
तो वो भी तुम ही हो ! 
हर स्थिति,
हर परिस्थिति में
तुम मेरे साथ ही हो
मैं चाहूँ भी तो
कैसे दूर जाऊं तुमसे ! 
बताओ.....?????

16 टिप्‍पणियां:

  1. किसी का साथ सान्त्वना दे जाता है।

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  2. jo dil ke paas hote hein
    zameen kee dooriyon se
    door nahee hote
    unke paas hone kaa ahsaas bhar
    badrang zindgee mein bhee
    rang bhartaa rahtaa

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  3. आह ! यही तो मोहब्बत की पराकाष्ठा है।

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  4. बिलकुल सही हर कोई एक सा नहीं होता !
    और जो दिल में सदा के लिए हो तो उसे भूलें भी तो कैसे

    बहुत सुंदर !

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  5. बहुत बढ़िया ...साथ होने का अहसास ही बहुत हिम्मत दे जाता है.... फिर दूर जाना कहन मुमकिन...?

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  6. इसी द्वन्द में जीवन निकल जाता है... हमारी मूल प्रकृति नहीं बदलती कभी!
    सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  7. बरौनी रिफायनरी से याद आया गरहारा रेलवे कॉलोनी के दिन।
    रचना के भाव मन को छुते हैं।

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  8. हुज़ूरे-ए-वाला आप गिरफ्तार-ए -इश्क हैं और खुदा करे ये जज्बा बना रहे.....आमीन|

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  9. इमरान....
    लगता है आपने तस्वीर के
    नीचे डायरी की तारीख नहीं पढ़ी !
    इश्क तो है अब भी ,
    लेकिन.....

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  10. Poonam ji...

    Tan se door hue ho lekin..
    Man se tum ho door nahi...
    Wo magroor bhale ho lekin...
    Dil se tum majboor rahin...

    Ek 'lekin' ne kah daala sab...
    Antarman ka tere bhav...
    Jeevan path par badhe ho beshak...
    Man main chahat dabi kahin...

    Ye 'lekin' upar aapke jawab se liya hai...

    Sundar bhav...

    Deepak Shukla..

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  11. मैं चाहूँ तो भी कैसे दूर जाऊँ........

    वाह! बन्धन का सशक्त बिम्ब, वाह!

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  12. जिससे इतने करीब का रिश्ता है उससे दूर जाने की सोचना भी .... बहुत दुष्कर है ये ...

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