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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

तकिया........




 

३०-९-२००६



तुमने कहा था एक बार
जब कुछ समझ न आये तो
मेरी तरह तकिया लो

और सो जाओ......!
सच में.....
तुम सो सकते हो,
और सोये भी हो
कितनी ही बार
और अभी भी !
पर मैं--
ऐसे में तकिया ले कर भी
नहीं सो पायी हूँ,
हमेशा उसी तकिये के सहारे
कितनी ही रातें
जाग कर काटी हैं मैंने !
अभी तक कितने ही तकिये
गीले किये हैं मैंने....
लेकिन आंसू अभी भी
थम नहीं पाए हैं !
चाह कर भी मैं
तुम्हारी तरह नहीं हो पा रही हूँ
तकिया तो साथ में है
पर सो नहीं पा रही हूँ....!!

 

14 टिप्‍पणियां:

  1. तकियों में न जाने कितने सपनें कैद हैं।

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  2. जब तक आपको किसी साथ का अहसास नहीं होता अकेलापन क्या होता है नहीं समझा जा सकता।

    तकिया जो शायद नहीं जानता कि कल कहाँ और किसके आँसू संजोयेगा क्या जाने अकेला होना क्या है?

    " और फ़िर अगर ’तकिये’ के पास दिल होता तो क्या कभी बिस्तर बदलता!

    और नींद गर बिस्तर की मोहताज़ होती तो गरीब की नींद का क्या होता। नींद तो चाहती है आशियाना चाहे खुले आसमाँ के नीचे हो....

    वाह! सुन्दर भाव हैं आपकी रचना के, विरह और श्रंगार साथ साथ!

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  3. मुझे मोहब्बत मेरे तकिये से

    मुझे मोहब्बत
    मेरे तकिये से
    सुकून का रिश्ता
    उस बेजुबां से
    सुख दुःख में
    साथ मेरा देता
    थकान में उसे
    सिरहाने लगाता
    मीठी
    नींद में सो जाता
    स्वप्न
    लोक में खो जाता
    दुःख में
    इसमें मुंह छुपाता
    चुपचाप
    आंसू बहा लेता
    कभी सर के
    कभी कंधे के नीचे
    निरंतर खामोशी से
    साथ मेरा निभाता
    कभी
    बाहर जाना होता
    रात भर
    याद दिलाता रहता
    अपने तकिये के बिना
    मुझे रात भर जागना
    पड़ता
    05-06-2011
    1002-29-06-11

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  4. Takiya, neend, aansu...gehan samanjashya hai...bhavnayein sahaj prastut ki hai aapne...

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  5. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...

    .......नववर्ष आप के लिए मंगलमय हो

    शुभकामनओं के साथ
    संजय भास्कर
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  6. naya saal mangalmay ho aap sabhi ko....happy new year to all my friends n well wishers...!
    samay aata hai aur samay chala jata hai...aur samay ke saath hi bahut kuchh badal jata hai jindagi mein...infact ham bhi vo nahin rah jaate jo kal the...!ham sabki aaj ki paristhitiyan kal se bhinn hain !!
    meri rachnaaon se kisi prakar ki koi dharna n banaiyega...bas sahaj bhav se padhiye aur kisi ki man:sthiti ka andaaz lagaiye.....vo main bhi ho sakti hun...aur aap bhi ho sakte/sakti hain.....aap....aap.....aur aap bhi...!!
    dhanyvaad !!!

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  7. शानदार भाव.......मन का कोई ऐसा कोना जहाँ कुछ बहुत ही नाज़ुक सा होता है......दुसरे कि भी सीमा है और एक सीमा पर आकर वो थम सा जाता है |

    ये मनोवैज्ञानिक सत्य है कि जब आप उदास होते हैं तो थोडा सो लेने से आप काफी हद तक संभल सकते हैं.........मैं भी अक्सर ऐसा ही करता हूँ :-)

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  8. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति……………आगत विगत का फ़ेर छोडें
    नव वर्ष का स्वागत कर लें
    फिर पुराने ढर्रे पर ज़िन्दगी चल ले
    चलो कुछ देर भरम मे जी लें

    सबको कुछ दुआयें दे दें
    सबकी कुछ दुआयें ले लें
    2011 को विदाई दे दें
    2012 का स्वागत कर लें

    कुछ पल तो वर्तमान मे जी लें
    कुछ रस्म अदायगी हम भी कर लें
    एक शाम 2012 के नाम कर दें
    आओ नववर्ष का स्वागत कर लें

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  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  10. बहुत गहन है आपका लेखन....वाह!
    हर शब्द अप्रतिम गहराई लिए हुए !

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  11. मनभावन कहूँ.. हर पल ज्योतिर्मय हो..

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  12. सुन्दर अभिवयक्ति....नववर्ष की शुभकामनायें.....

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  13. "ये धरती हरी हो, उमंगों भरी हो,
    हर इक रुत में आशा की आसावरी हो
    मिलन के सुरों से सजी बाँसुरी हो
    अमन हो चमन में, सुमन मुस्कुराएं।
    नव वर्ष की शुभ-कामनायें......

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