इश्क़ की रस्म....
शाम कुछ इस तरह से आई है
ज़िन्दगी जैसे गुनगुनाई है ...!
तीरगी दूर छुप के बैठ गई...
रात दुल्हन सी झिलमिलाई है...!
साथ वो अब मेरे नहीं आता...
उसकी यादों से आशनाई है...!
वो मुझे याद कर परीशां हो...
इश्क़ की रस्म यूँ निभायी है...!
रात 'पूनम' की जब हुई रौशन...
चाँदनी हुस्न में नहाई है...!
19/01/2015
उदयपुर
कल 21/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
शुक्रिया यशवंत.....
हटाएं'हलचल' में साथी बनाने के लिए...
शुक्रिया यशवंत.....
हटाएं'हलचल' में साथी बनाने के लिए...
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हटाएंलाजवाब रचना...
जवाब देंहटाएंखट्टी-मीठी यादों से भरे साल के गुजरने पर दुख तो होता है पर नया साल कई उमंग और उत्साह के साथ दस्तक देगा ऐसी उम्मीद है। नवर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत मिले तो ….शब्दों की मुस्कराहट पर आपका स्वागत है
बहुत खूब ...आखरी शेर तो कमाल कर रहा है ... बहुत उम्दा ...
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