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सोमवार, 24 नवंबर 2014

मुखौटे........




जहाँ आस्था है..
वहाँ विश्वास है...!
जहाँ प्रेम है.. 
वहां समर्पण है...!
और जहाँ सादगी है..
वहाँ ये सब  एकसाथ हैं...!
असल में हमने 
अपना स्वाभाविक रूप ही
खो दिया है कहीं...!
सादगी न जाने 
कितनी परतों में
छुप गयी है...!!
हर चेहरे पर न जाने कितने
मुखौटे चढ़े हुए हैं कि...
सादगी को अपना चेहरा
आजकल खोजे नहीं मिल रहा है...!!
देखिये तो....
आपके पास कितने मुखौटे हैं...??


धर्मशाला से.....
18/11/2014


8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति...बहुत खूब...

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  2. कल 07/दिसंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  3. सच सादगी वाले अब नज़र नहीं आते ...अब तो तड़क भड़क देखि जाती है ..
    बहुत बढ़िया सार्थक चिंतन ....

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  4. kaphi sahi kaha.... sadgi mein adbhut Shakti aur sahas hai... !!nice thought and well written!

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