कोई चुपके से रात आया था..
कोई हमदर्द..मेरा साया था..!
देर तक रो रही थी तन्हाई..
आप ने चुप कहाँ कराया था..!
एक हम ही मुरीद थे उसके..
उसने रिश्ता कहाँ निभाया था..!
आप समझे हैं बात कब मेरी..
उसकी बातों ने ही लुभाया था..!
आइना था रकीब वो मेरा..
इस तरह उसने हक जताया था..!
आप आए तो कुछ सुकूं आया..
दर्द ने यूँ बहुत सताया था..!
तीरगी ही मिली थी राहों में..
आप ने कब दिया जलाया था..!
प्यार ही प्यार था तेरे दिल में..
क्यूँ नहीं फिर इसे निभाया था..!
रात भर जागती रही 'पूनम '..
चाँदनी ने गले लगाया था..!
16/8/2014
बेहतरीन जज्बातों से सजी गजल
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावुक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाऐं ----
सादर --
कृष्ण ने कल मुझसे सपने में बात की -------
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (19-08-2014) को "कृष्ण प्रतीक हैं...." (चर्चामंच - 1710) पर भी होगी।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद रूपचंद जी...
हटाएंहृदय से आभार
बहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंईश्वर कौन हैं ? मोक्ष क्या है ? क्या पुनर्जन्म होता है ? (भाग २ )
अहसासों की सुंदर अभिव्यक्ति।।।
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