जब हम नहीं तैयार तो क्या कर सकेंगे वो
रुसवा करेंगे वो हमें....बस ! ये करेंगे वो !
उनकी ज़बांदराजी पे न था शक हमें कभी
अब तक किया यही है, तो क्या अब करेंगे वो !
चेहरे पे एक चेहरा उनका और है जनाब
अपने ही अक्स से नज़र चुरा रहे हैं वो !
यूँ तो गीले शिकवे हमें भी उनसे हैं बहुत
गर खोल दी जुबां तो न खुद सह सकेंगें वो !
अब क्या कहें किसी से हम उनके विसाल-ए-यार
अपने शहर में थक गए....गए दूजे शहर में वो !
उनकी निगेहबानियाँ....कुछ मुझपे यूँ रहीं
बदनाम हमें करेंगे तो क्या खुश रहेंगे वो !
कहते हैं जुर्म करना और सहना भी है गुनाह
अपने - किये गुनाह पे अब क्या कहेंगे वो ??
खुद को समझते है वो पाक साफ़ आजतक
खुद कितनी तोहमतें मुझपे लगाते रहे हैं वो !
वाह .......भावनाओं के के धागे से बना यह स्वेटर बड़ा सुन्दर है ।
जवाब देंहटाएंlaazwaab.....
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट की चर्चा 10-01-2013 के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाएं
बहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंइस स्वेटर की गर्माहट में पूरी सर्दी कट जाएगी आपकी :)
~सादर!!!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 10 -01 -2013 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं....
सड़कों पर आन्दोलन सही पर देहरी के भीतर भी झांकें.... आज की हलचल में.... संगीता स्वरूप. .
खूबसूरत नज़्म ...
जवाब देंहटाएंसुनहरे एहसास लिए ... भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
भावनाओं के रंगों से बना स्वेटर कितना गर्म होगा समझा जा सकता है और उसकी गरमाहट महसूस भी की जा सकती है |
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना |
आशा
कभी समय काटने का साधन हुआ करता था स्वेटर बुनना ...अब अहसास ही बाकि है
जवाब देंहटाएंयादों के और बातों के ..
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर....
:-)
कितने विचारों की गुत्थियाँ बुनती गयीं स्वेटरों के फन्दों में।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसास रंगों और विचारों का ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कारीगरी पूनम जी ....
नये प्रतीकों से रचित भावपूर्ण रचना आभार ......
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