कतरा कतरा
वो वक्त बीत गया
जो कभी था तुम्हारे साथ...
कतरा कतरा
वो अल्फाज़ भी सिमट गये
जो दबे थे मेरे सीने में !
आज हमारे सारे एहसास
सहमे, सिकुड़े...
बेचारे से....
अपने ही एहसास को
महसूस करने के लिए..
औरों का मुंह ताकते हैं !
भले ही तुम इसे न मानो
लेकिन तुम्हारे चेहरे की
झेंपती हंसी सब कह देती है...
तुम्हारा जोर से हंसना
तुम्हारे दर्द का एहसास दिला देता है...!
कुछ वक्त चुराया था तुम्हारे लिए...
इस जिंदगी से मैंने...
न जाने कब का मुट्ठी से फिसल कर
कहीं दूर जा गिरा है !
कुछ वक्त ने और कुछ तुमने
और कुछ मैंने....
बदल डाला है सब कुछ !!
अब तुम्हें देने को मेरे पास कुछ नहीं है...
दोनों हथेली खाली है मेरी
क्यूँ कि....
मेरे पास आज खोने को भी कुछ नहीं है....!!
०५/०१/२०१३
dil ko chuti rachna
जवाब देंहटाएंबहुत खुब लिख दिए हो ...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंrecent poem : मायने बदल गऐ
बहुत ही भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंयथार्थवादी रचना..
जवाब देंहटाएंसशक्त और प्रभावशाली रचना.....
जवाब देंहटाएंशानदार, बेहतरीन............दी जज़्बात पर भी आयें।
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