कुछ राज़ कहे हमने...उनसे यूँ अलहदा..
निकले तो साथ थे मगर राहें हुई जुदा !!
कुछ राह वो थे भूले कुछ हम भी खो गए
नज़रें तो दूर तक गयीं मंजिल हुई जुदा !!
तेरी निगेहबानी का क्या शुक्रिया करूँ
रुसवाइयां जो तूने दीं वो भी थीं अलहदा !!
माना ये राह-ए-जिंदगी सिखलाती है सबक
तूने जो दिया है सबक वो सबसे अलहदा !!
हमने किया यकीन था तुझपे बहुत मगर
न तुझको ही यकीन रहा खुद पे ,या खुदा !!
सुबह -सुबह . एक अछि रचना पढने को मिली .. रहे को राहे कर लें
जवाब देंहटाएंशुक्रिया बबन जी...
हटाएंकभी कभी गलती से मिस्टेक हो जाती है....:))
dil ki gehraiyon se nikalte dard ko sunder lafzo me dhala hai.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
आप सभी का शुक्रिया....!!
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