जब हम नहीं तैयार तो क्या कर सकेंगे वो
रुसवा करेंगे वो हमें....बस ! ये करेंगे वो !
उनकी ज़बांदराजी पे न था शक हमें कभी
अब तक किया यही है, तो क्या अब करेंगे वो !
चेहरे पे एक चेहरा उनका और है जनाब
अपने ही अक्स से नज़र चुरा रहे हैं वो !
यूँ तो गीले शिकवे हमें भी उनसे हैं बहुत
गर खोल दी जुबां तो न खुद सह सकेंगें वो !
अब क्या कहें किसी से हम उनके विसाल-ए-यार
अपने शहर में थक गए....गए दूजे शहर में वो !
उनकी निगेहबानियाँ....कुछ मुझपे यूँ रहीं
बदनाम हमें करेंगे तो क्या खुश रहेंगे वो !
कहते हैं जुर्म करना और सहना भी है गुनाह
अपने - किये गुनाह पे अब क्या कहेंगे वो ??
खुद को समझते है वो पाक साफ़ आजतक
खुद कितनी तोहमतें मुझपे लगाते रहे हैं वो !
Bahut khoob:-)
जवाब देंहटाएंसच बाहर आना कितना कठिन हो जाता है..
जवाब देंहटाएंbahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएंएक चेहरे पे कई चेहरे चढ़ा लेते हैं लोग।
जवाब देंहटाएंगीले = गिले