वाह................क्या बात कही पूनम जी..मर मिटे हम भी...अनु
बहुत खूब ....
वाह!गज़ब की बात थोडे लफ़्ज़ों में!वाह!
कल 15/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
वाह लाजबाब पूनम जी !
उम्दा नज़्म..आह..
बेहतरीन अभिव्यक्ति..
बहुत-बहुत सुन्दर रचना..:-)
बहुत ही खूबसूरत ।
बहुत ही जिंदादिल रचना
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
'मैं' की तो कभी मौत नही होती,पूनम जी.हाँ,स्वरूप जरूर बदल जाता है.सुन्दर प्रस्तुति.
वाह................
जवाब देंहटाएंक्या बात कही पूनम जी..
मर मिटे हम भी...
अनु
बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंवाह!गज़ब की बात थोडे लफ़्ज़ों में!वाह!
जवाब देंहटाएंकल 15/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
वाह लाजबाब पूनम जी !
जवाब देंहटाएंउम्दा नज़्म..आह..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएं:-)
बहुत ही खूबसूरत ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही जिंदादिल रचना
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
जवाब देंहटाएं'मैं' की तो कभी मौत नही होती,पूनम जी.
जवाब देंहटाएंहाँ,स्वरूप जरूर बदल जाता है.
सुन्दर प्रस्तुति.