लोग न जाने क्यूँ
हर व्यक्ति,
हर संबंध को....
अपनी तरह से
खुद ही लेने लगते हैं...
किसी भी शख्स को
उसी की तरह
रहने ही नहीं देते हैं !
वो अपने ख्वाबों में
हर इंसान की
अपनी ही तरह सोची हुई
एक अजीब सी ...
एक मनचाही सी
तस्वीर बना लेते हैं खुद ही...
और फिर जीने लगते हैं
उसी तस्वीर के साथ !
कभी एक तस्वीर
उनके दुख में
उनके आँसू पोंछती है
चुपके से.......
और कभी दूसरी तस्वीर
उनकी खुशी में
उनके साथ खिलखिलाती है !
कभी कोई और ही तस्वीर
उनके अहं को भी
चुपके से बढ़ावा दे जाती है
और कभी कोई दूसरी तस्वीर
उनसे ही प्यार का इज़हार
कर जाती है चोरी से....
एक अजीब सिहरन सी
दे जाती है चुपके-चुपके !
और कभी-कभी
कोई तस्वीर आ कर
अपनी गोद में लिटा कर
थपकियाँ भी दे जाती है...
अकेली सुनसान रातों में ,
वही sleeping pills सा
काम भी कर जाती है !
अरे हाँ !!
मैंने आपसे तो पूछा ही नहीं.......
आपके पास इनमें से
कौन सी तस्वीर है .......??
***पूनम***
हम तो..तस्वीर बनाते हैं मगर तस्वीर नहीं बनती :):)
जवाब देंहटाएंjo bhee tasveer bhaatee hai ,neend mein vahee yaad aatee hai
जवाब देंहटाएंजो जैसा है, बना रहने दें..बदलने में उसका अपनापन खो जाता है।
जवाब देंहटाएंabstract सी कुछ है...खुद ही नहीं समझ पाते....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पूनम जी.
सस्नेह
तस्वीर बनती ही नही कोई
जवाब देंहटाएंहर एक के पास हजारों तस्वीरें है..दूसरों की ही नहीं अपनी भी...कहते हैं न चेहरे पे चेहरा..जब जिसकी जरूरत होती है लगा लेते हैं..
जवाब देंहटाएंkoi tasveer nahi hai......... bahut sunder rachna
जवाब देंहटाएंतस्वीरों का पूरा एक जाल सा है और मन उन्ही में उलझा सा रहता है इन सबके पीछे अपनी खुद की तस्वीर ही जैसे गम गयी है......शानदार पोस्ट।
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