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शनिवार, 24 सितंबर 2011

शिक्षा.....








ज़िंदगी रोज़ ही
हमें कुछ न कुछ
सिखाती जाती है...
ज़रुरत है हमें
बाहरी आँखों के साथ
भीतर की आँखों को भी 
खुला रखने की !
बाहर के साथ-साथ 
भीतर भी कुछ घटता है 
और भीतर का घटना
खुली आँखों से
नहीं दिखाई देता है....!!
हम चाहते हैं कि
बदलाव दिखाई दे बाहर, 
कुछ वैसा ही
जैसा की भीतर हो रहा है
लेकिन....कोई है....
जो महसूस कर रहा है
यह बदलाव,
और चाह के भी
दिखा नहीं पा रहा है !
क्योंकि यह घटना 
घटती है कहीं अन्दर.....
जहाँ पहुँच पाना आसान नहीं
किसी के लिए भी,
और कभी-कभी
स्वयं के लिए भी.....!!


14 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद सुन्दर भाव संजोये हैं इसके लिये अन्दर की यात्रा तो करनी ही पडती हैतभी बदलाव महसूस हो पाता है।

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  2. बहुत ही सुन्दर, हर पग में सीखने की संभावना है।

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  3. सीखना ज़िंदगी भर चलता है और बदलाव भी निरंतर होते हैं ..अच्छी प्रस्तुति

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  4. बदलाव जीवन का नियम है...सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  5. जो भी घट रहा है समाज में वह सोचनीय तो है ही.

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  6. सुन्दर प्रस्तुति गहन भाव अभिव्यक्त करती
    हुई बहुत अच्छी लगी.

    बाहर की यात्रा से दुर्गम अंदर की यात्रा है,
    जो स्वयं को दृष्टा बनाकर ही संभव हो पाती है.

    मेरे ब्लॉग पर आकर आपने अपने सुन्दर वचनों
    से मुझमें अनुपम दिव्यता का संचार किया
    है. पूनम जी,आपका हृदय से आभारी हूँ.

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  7. बहुत गहरी बात.
    अन्दर झाँक पाना बहुत ही कठिन है.
    दूसरों के ही नहीं ,अपने भी.
    हमारी ज़िन्दगी pretend करने में ही निकल जाती है.

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  8. sach kaha aapne apne bheetar hi kabhi kabhi pahunch pana aur antas ki awaz sun pana bahut mushkil hota hai. bahut sunder.

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  9. बहुत ही सुन्दर भाव हैं ........शानदार पोस्ट|

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  10. अपने आप को जानने के लिए ... भीतर जाना हो पढता है ... हाँ ये सच है कभी कभी सफलता नहीं मिलती ...नव रात्री की मंगल कामनाएं ..

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  11. पूनम जी नमस्ते!
    जिंदगी स्वयं एक पाठशाला है, जहाँ अंतरात्मा परिष्कृत होती है, उन्नत होती है...एक दार्शनिक अभिव्यक्ति के लिए बधाई ...
    बहुत दिनों बाद आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ...

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  12. मेरे ब्लॉग ' जज़्बात.....दिल से दिल तक' की नयी पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है......जब भी फुर्सत मिले ज़रूर देखें|

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