ज़िंदगी रोज़ ही
हमें कुछ न कुछ
सिखाती जाती है...
ज़रुरत है हमें
बाहरी आँखों के साथ
भीतर की आँखों को भी
खुला रखने की !
बाहर के साथ-साथ
भीतर भी कुछ घटता है
और भीतर का घटना
खुली आँखों से
नहीं दिखाई देता है....!!
हम चाहते हैं कि
बदलाव दिखाई दे बाहर,
कुछ वैसा ही
जैसा की भीतर हो रहा है
लेकिन....कोई है....
जो महसूस कर रहा है
यह बदलाव,
और चाह के भी
दिखा नहीं पा रहा है !
क्योंकि यह घटना
घटती है कहीं अन्दर.....
जहाँ पहुँच पाना आसान नहीं
किसी के लिए भी,
और कभी-कभी
स्वयं के लिए भी.....!!
बेहद सुन्दर भाव संजोये हैं इसके लिये अन्दर की यात्रा तो करनी ही पडती हैतभी बदलाव महसूस हो पाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर, हर पग में सीखने की संभावना है।
जवाब देंहटाएंसीखना ज़िंदगी भर चलता है और बदलाव भी निरंतर होते हैं ..अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबदलाव जीवन का नियम है...सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंbahut achcha likha hain.
जवाब देंहटाएंजो भी घट रहा है समाज में वह सोचनीय तो है ही.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति गहन भाव अभिव्यक्त करती
जवाब देंहटाएंहुई बहुत अच्छी लगी.
बाहर की यात्रा से दुर्गम अंदर की यात्रा है,
जो स्वयं को दृष्टा बनाकर ही संभव हो पाती है.
मेरे ब्लॉग पर आकर आपने अपने सुन्दर वचनों
से मुझमें अनुपम दिव्यता का संचार किया
है. पूनम जी,आपका हृदय से आभारी हूँ.
बहुत गहरी बात.
जवाब देंहटाएंअन्दर झाँक पाना बहुत ही कठिन है.
दूसरों के ही नहीं ,अपने भी.
हमारी ज़िन्दगी pretend करने में ही निकल जाती है.
sach kaha aapne apne bheetar hi kabhi kabhi pahunch pana aur antas ki awaz sun pana bahut mushkil hota hai. bahut sunder.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भाव हैं ........शानदार पोस्ट|
जवाब देंहटाएंअपने आप को जानने के लिए ... भीतर जाना हो पढता है ... हाँ ये सच है कभी कभी सफलता नहीं मिलती ...नव रात्री की मंगल कामनाएं ..
जवाब देंहटाएंजी, जीवन में बदलाव...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
पूनम जी नमस्ते!
जवाब देंहटाएंजिंदगी स्वयं एक पाठशाला है, जहाँ अंतरात्मा परिष्कृत होती है, उन्नत होती है...एक दार्शनिक अभिव्यक्ति के लिए बधाई ...
बहुत दिनों बाद आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ...
मेरे ब्लॉग ' जज़्बात.....दिल से दिल तक' की नयी पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है......जब भी फुर्सत मिले ज़रूर देखें|
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