हमने सोचा भी न था ऐसा भी दिन आएगा !
आँखों में बसता है जो दिल से दूर जायेगा !!
हमने बांधा नहीं आँखों में बसाया था उसे !
क्या खबर थी कि वह अश्कों में ही ढल जाएगा !!
औरों की शम्मा पे जलते हुए देखा है तुझे !
अपने घर का अन्धेरा कैसे तू मिटाएगा !!
तू मेरे दिल में है हर वक़्त साथ है मेरे !
तेरे वजूद में तू खुद न समा पायेगा !!
तूने खुद अपनी कही अपनी करी अपनी सुनी !
तेरा किया और कहा तेरे साथ जायेगा !!
हमने बांधा नहीं आँखों में बसाया था उसे !
जवाब देंहटाएंक्या खबर थी कि वह अश्कों में ही ढल जाएगा !!
खूबसूरती से कही अपनी बात ..
behad sunder.
जवाब देंहटाएंसम्बन्धों के जटिल तार हैं,
जवाब देंहटाएंपीड़ा के समुचित उभार हैं।
bahut hi sundar rachna likhi hai. . .
जवाब देंहटाएंJai hind jai bharat
aankhon mein bandh lijiye aur jee jaiye unhe,
जवाब देंहटाएंtaumra unko is tarah se hi paa jaaiye unhe.
bahut achha Punam ji...ek ek pankti samwad sthapit karti hai seedhe man se.
बहुत खूब शानदार ग़ज़ल है पूनम जी......आखिरी वाला शेर तो कमाल का है.....ब्लॉग का नया स्वरुप मुझे कुछ खास नहीं लगा.....हो सके तो बदल लें|
जवाब देंहटाएंशानदार ग़ज़ल है पूनम जी..
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत खूब कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंBahut khoob...behad sundar abhivyakti.
जवाब देंहटाएंBehad khubsurat,behatareen harek sher..lajavab
जवाब देंहटाएंbehtareen....
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